मथुरा। स्पेस साइंस, इकोलॉजी, ज्योग्राफी, एस्ट्रोनॉमी, हिस्ट्री, इंटरनेशनल  रिलेशनसिप, रॉकेट साइंस, क्वांटम फिजिक्स, सोशल इश्यू,ओसेनालोजी, आर्ट एंड कल्चर, नैनो टेक्नोलॉजी, विदेश नीति और मरीन साइंस जैसे सब्जेक्ट ही सुनकर स्टूडेंट तो छोड़िए, बड़े-बड़े प्रोफेसरों का माथा चकरा जाए। यह कोई एक दो नहीं बल्कि 14 सब्जेक्ट हैं। और इन्हें पढ़ाने वाला शख्स महज 8 साल का है। जिसकी प्रतिभा का लोहा कई शिक्षाविद और वैज्ञानिक मान चुके हैं।

 

पलक झपकते ही दे देता है कठिन से कठिन सवालों के उत्तर
जितनी उम्र उससे दोगुना विषयों का मर्मज्ञ, कठिन से कठिन सवालों का जवाब पलक झपकते ही उसके जुबान पर होता है। कंप्यूटर से भी तेज दिमाग वाला यह कोई परिपक्व प्रोफेसर नहीं बल्कि वहीं 8 साल का बच्चा है। जिसकी बुद्धि के आगे बड़े से बड़े प्रोफेसर पसीना छोड़ देते हैं। जो अपनी उम्र से दो गुना सब्जेक्ट पढ़ाता है, वो भी इंजीनियरिंग और UPSC की  तैयारी करने वालों को।

 

17 माह की उम्र में ही मां-बाप को पता चल गई थी बेटे की प्रतिभा
भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा के गौरी कालोनी में अरविंद उपाध्याय और प्रिया के घर जन्में इस नन्हे प्रोफेसर का नाम ही "गुरू" है। जिसे अब लोग " GOOGLE गुरू" के नाम से पुकारने लगे हैं। इंजीनियर पिता और सीटेट कर चुकी मां की संतान गुरू उपाध्याय की प्रतिभा 17 माह की उम्र में ही पता चल गई थी। अरविंद का कहना है कि जब वह पैदा हुआ था, तब हम दोनों लोग प्रतियोगी परिक्षाओं की तैयारी करते थे। हमारे द्वारा आपस में जो प्रश्न और सब्जेक्ट डिस्कस किए जाते थे, उन्हें सुन-सुनकर गुरू ने सब याद कर लिया था।

 

बड़े-बड़े विशेषज्ञ हो चुके हैं गुरू के आगे नतमस्तक
घर की चहारदीवारी से गुरू की प्रतिभा जब बाहर निकली तो बड़े-बड़े विशेषज्ञ भी उसकी बुद्धि के आगे नतमस्तक हो गए। गुरू को विश्व के सभी देश, उनकी राजधानी, भौगोलिक स्थिति, भाषा, इतिहास सब पता है।उसे अंतरराष्ट्रीय संबंधों की भी गहरी समझ है। स्पेश नीति, AI, रोबोट, कंप्यूटर, मौसम विज्ञान, सामान्य ज्ञान के बारे में भी उसकी शानदार समझ है। 

 

महंत नृत्य गोपाल दास कर चुके हैं नन्हें प्रोफेसर काे सम्मानित
उसे इंडिया बुक आफ रिकार्ड्स में सबसे कम उम्र के गेस्ट लेक्चरर का खिताब मिल चुका है। अयोध्या राम जन्मभूमि और श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास इस प्रतिभाशाली बच्ची की प्रतिभा परख चुके हैँ। उन्होंने इसे सम्मानित भी किया है।  इस नन्हें प्रोफेसर का सपना आगे चलकर डा. एपीजे अब्दुल कलाम की तरह साइंटिस्ट बनना है। 

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