नई दिल्ली: रंगों का त्योहार बिल्कुल पास ही है और अगर आपको लगता है कि होली सिर्फ गुलाल, गुझिया और गुबारे, (रंग, मिठाई और पानी के गुब्बारे) से ही मनाई जाती है तो इस बारे में एक बार फिर से सोच लीजिए।

आपने मथुरा में आक्रामक लट्ठमार होली के बारे में तो सुना ही होगा, लेकिन क्या आप नॉर्थ ईस्ट इंडिया के इंफाल में पांच दिवसीय होली समारोह के बारे में जानते हैं? अगर नहीं तो एविएशन ट्रैवलर मिलिंद भिड़े, जो कंट्रीसाइड एडवेंचर हॉलीडे के संस्थापक और प्रबंध निदेशक हैं, वो हम सभी को आज बताएंगे की कैसे पूरे भारत में विचित्र तरीके से होली मनाई जाती है। 

भिड़े पिछले 25 वर्षों से यात्रा कर रहे हैं और गर्व से 'वॉकिंग ट्रैवेलॉग' होने का दावा करते हैं क्योंकि उन्होंने सभी जगहों को दो बार से ज्यादा देखा व अनुभव किया है।

इसलिए, अगर आप इस बार की होली में कुछ अलग अनुभव करना चाहते हैं और अपने होली के त्योहार को यादगार के साथ मजेदार बनाना चाहते हैं तो भिड़े की बताई हुई इन बातों पर ध्यान दीजिए और अपनी होली को खास बनाइए। 

भिड़े का कहना है- आप यात्रा के अनुसार अपना सामान पैक कर लें, पहले से ही हवाई टिकट और होटल रूम बुक कर के सुनिश्चित करें क्योंकि होली के दौरान किराए में काफी उछाल आता है इसलिए आप यह सब पहले से ही तय कर लें तो सही रहेगा। आपको अपने कैमरों, मोबाइल और अन्य कीमती सामानों की भी देखभाल करनी होगी और उन्हें रंग और पानी से बचाना होगा। हालांकि, सबसे महत्वपूर्ण बात, स्थानीय का सम्मान करें। आखिर में भिड़े का कहना है- ‘किसी को भी बिना उसकी मर्जी से रंग नहीं लगाए।‘ 

गोवा में ‘शिगमो’


गोवा में होली को शिगमो महोत्सव के रूप में जाना जाता है। इस समय गोवा एक रंगीन आनंदोत्सव में बदल जाता है। यहां पर शिगमो के दिन परेड निकाली जाती है जिसमें धार्मिक झांकिया निकाली जाती है। जिसमें गोआ के लोगों के जीवन को दर्शाया जाता है। 

यह परेड गोआ के पणजी, वास्को द गामा और मार्गो जैसे शहरों में निकाली जाती है और इसमें सांस्कृतिक प्रदर्शन किया जाता है। 

मणिपुर में योसंग 


होली को मणिपुर में योसंग के रूप में जाना जाता है और यहां पर होली को 5 दिनों तक मनाया जाता है। यहां के लोग होली के इन 5 दिनों में पारंपरिक पोशाकें पहनते हैं और गोविंदजी के मंदिर जाते हैं। वहां जाकर भजन, नृत्य और कुछ रीति-रिवाज निभाते हैं। जिनका कुछ दिनों पहले ही पालन करना शुरू करना पड़ता है। होली के 5वें दिन पानी और रंगों के साथ होली खेली जाती है।
 

मथुरा और वृंदावन में फूलों वाली होली

मथुरा और वृंदावन कृष्ण नगरी है यह शहर धार्मिक महत्व रखता है क्योंकि यह भगवान कृष्ण और राधा से जुड़ा है। यहां पर द्वारकाधीश और बांके बिहारी के मंदिरों (ऊपर) में रंग खेल और भव्य संगीतमय जुलूस निकाले जाते हैं। होली से पहले एकादशी पर, वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर में फूलों की एक अनोखी होली आयोजित की जाती है।

बरसाना और नंदगांव में लठमार होली


देवी राधा का गृहनगर लठ मार होली के लिए जाना जाता है, यहां पर होली बड़े ही विचित्र तरीके से मनाई जाती है। यहां महिलाएं पुरुषों को लाठी से पीटती हैं। इस जगह होली प्राचीन समय से इसी तरीके से मनाई जाती है। यह देश की सबसे अनोखी होली में से एक है। 

राजस्थान में रंग पंचमी 


राजस्थान में शाही परिवार, शहर में हो रहे संगीत और नत्य के एक सांस्कृतिक जुलूस में भाग लेता है और होली की पूर्व संध्या पर होलिका दहन किया जाता है। इसके अगले दिन रंग पंचमी दिवस शहर के शाही परिवारों के संरक्षण में मनाया जाता है। पर्यटक स्थानीय लोगों के साथ भी त्योहार मनाते हैं और अधिकांश रिसॉर्ट्स और होटल में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

शांति निकेतन में बसंत उत्सव 


शांति निकेतन के बीरभूम में बसंत उत्सव गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा शुरुआत की गई थी। उन्होंने होली को लोगों के बीच प्यार बढ़ाने के लिए शुरुआत कराई थी। इस खास महोत्सव की शुरुआत विश्वभारती विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों और संगीत-नृत्य समारोहों के बाद चमकीले पीले रंग के कपड़े पहनकर होती है।