जल्द ही दिल्ली में सत्ताधारी आप और कांग्रेस के बीच में लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन हो सकता है। अभी भी दोनों पार्टियों के रणनीतिकार इस दिशा में कार्य कर रहे हैं। बस इंतजार कांग्रेस की तरफ से किया जा रहा है। इस पर फैसला पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी करेंगे। फिलहाल दिल्ली की प्रदेश अध्यक्ष शीला दीक्षित इस मामले में कमजोर पड़ती दिख रही हैं। ऐसा कहा जा रहा कि अगले हफ्ते इस पर मुहर लग सकती है।

पार्टी के रणनीतिकार आलाकमान को ये बात समझाने में सफल हो गए हैं कि दिल्ली में कांग्रेस की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। लिहाजा आप से गठबंधन में कोई हर्ज नहीं है। हालांकि शीला दीक्षित अब इस मामले में अलग-थलक पड़ती दिख रही हैं। कहा जा रहा कि कांग्रेस प्रदेश प्रभारी पीसी चाको ने शीला को इस बारे में साफ कर दिया है कि दिल्ली में पार्टी कमजोर है और आप से गठबंधन कर पार्टी को फायदा ही होगा। क्योंकि जिस तरह के राजनैतिक हालत देश में हैं उससे अकेल लड़ने में पार्टी को नुकसान हो सकता है। ये भी कहा जा रहा है कि अधिकांश वरिष्ठ नेता तालमेल के पक्ष में हैं।

ये भी कहा जा रहा है कि कल तक प्रदेश अध्यक्ष शीला दीक्षित व पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन के बीच गठबंधन पर जारी मतभेद को सुलझा लिए जाएंगे। इसके बाद गठबंधन पर सोमवार तक कोई निर्णय लिया जा सकता है। दिल्ली कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने शुक्रवार को बैठक की जिसमें शीला ने अपना रुख दोहराया कि आप के साथ गठबंधन नहीं होगा। हालांकि बैठक में शामिल एक नेता ने बताया कि दिल्ली कांग्रेस के ज्यादातर नेता आप के साथ गठबंधन के पक्ष में हैं। उनका मानना है कि गठबंधन के जरिए ही दिल्ली में भाजपा को हराया जा सकता है।  कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि 3:3:1 के फॉर्म्युले पर काम चल रहा है।

इसके तहत दोनों ही पार्टियां 3-3 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार सकती हैं और एक सीट पर किसी न्यूट्रल शख्स को उतारा जाएगा। आप भी कांग्रेस के साथ चुनावी गठबंधन के लिए तैयार बैठी है। पिछले दिनों गठबंधन न होने की स्थिति में आप नेता अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस पर भाजपा का समर्थन करने तक का आरोप लगा दिया था। कांग्रेस नेताओं के तर्क है कि एमसीडी के चुनाव में कांग्रेस और आपको को पचास फीसदी वोट मिले जबकि भाजपा को 35 फीसदी। अगर यही आंकड़ा लोकसभा चुनाव में रहा तो कांग्रेस और आप गठबंधन राज्य में भाजपा का सूपड़ा साफ कर सकता है।