दुश्मन देशों के टैंकों से निपटने के लिए भारतीय सेना की मारक क्षमता को बढ़ाने की तैयारी हो रही है। इसके लिए फ्रांस से 3000 से ज्यादा मिलन 2टी एंटी टैंक गाइडेड मिसाइलें खरीदने पर विचार हो रहा है। सेना ने इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर लिया है। इन मिसाइलों की खरीद पर एक हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम खर्च होगी। 

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, रक्षा मंत्रालय की उच्च स्तरीय समिति सेना के इस प्रस्ताव पर विचार करेगी।  भारत डायनामिक्स लिमिटेड (बीडीएल) फ्रांस की कंपनी के साथ मिलकर इन मिसाइलों का भारत में ही निर्माण कर रही है।

सेना को फिलहाल अलग-अलग तरह की 70 हजार एंटी टैंक मिसाइलों की जरूरत है। सेना को 850 लांचर्स की भी आवश्कता है। साथ ही सेना लंबी दूरी तक मार करने वाली तीसरी पीढ़ी की एंटी टैंक मिसाइलें खरीदना चाहती है।  अभी सेना मिलन-2टी और कोंनकुर एंटी गाइडेड टैंक मिसाइल का इस्तेमाल कर रही है।  इनकी रेंज दो किलोमीटर से कुछ ज्यादा है।

सूत्रों के मुताबिक, मिलन 2टी एंटी टैंक गाइडेड मिसाइलों की खरीद मौजूद कमी को पूरा करने के लिए अच्छा विकल्प है। जल्द ही सेना को तीसरी पीढ़ी की स्वदेशी एंटी टैंक गाइडेड मिसाइलें मिलने लगेंगी। फिलहाल इनका परीक्षण चल रहा है। 

2टी एंटी टैंक गाइडेड मिसाइलें मिलने से सेना की जरूरत काफी हद तक पूरी हो जाएगी। भारत ने इस्राइल से स्पाइक एंटी टैंक मिसाइलों की खरीद का सौदा रद्द कर दिया था। ऐसा स्वदेशी मिसाइल तकनीक की बढ़ावा देने के लिए किया गया। डीआरडीओ ने मैन पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल के दो सफल परीक्षण किए हैं। 

मौजूदा एनडीए सरकार के समय में स्वदेशी हथियार प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए कई देशों के साथ हुए रक्षा खरीद सौदों को रद्द किया गया है। 2017 में अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली रक्षा खरीद परिषद ने इस्राइल और स्वीडन से मिसाइलें खरीदने के बजाए भारत में ही बनी आकाश मिसाइलों पर भरोसा जताया। ये जमीन से हवा में मार करती हैं। इन पर 18 हजार करोड़ का खर्च आएगा।