मानसिक रोगियों को जंजीर में बढ़कर रखने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और देश के सभी राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर 4 हफ्ते में जवाब मांगा है। 

वहीं उत्तर प्रदेश के बदायूं में बड़े और छोटे सरकार के दरगाह पर जंजीर में जकड़े मानसिक रोगियों के मामले में सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि जंजीर में बांधकर रखे गए 17 मानसिक रोगियों को आजाद कर दिया गया है। 

रिपोर्ट के मुताबिक 9 रोगियों को वहां मौजूद उनके परिवार के लोगो को सुपुर्द कर दिया गया है और जो बाकी के रोगी है उनके घर वालों को इसकी जानकारी दे दी गई है। 

बदायूं शहर के लालपुल स्थित ऐतिहासिक दरगाह हजरत सुल्तान आरफीन साहब जिसको बड़े सरकार और हजरत शाह विलायत साहब रहम तुल्लाह अलैह यानि छोटे सरकार कहा जाता है। 

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इन दरगाहों पर मानसिक रूप से पीड़ित व रूहानी बढ़ाओ के रोगियों को यहां लाने पर उनके ठीक होने का दावा किया जाता है। मानसिक रोगी कहीं भाग न जाये, इसलिए उनके पांव का लोहे की जंजीरों से बांधकर रखा जाता है। 

इस मामले में याचिका दायर करने वाले गौरव बंसल ने कहा था कि यहां मानसिक रोगियों को जबरन जंजीरों में बांधकर रखा जाता है, जो अमानवीय व्यवहार के समान है। 

कोर्ट ने कहा कि मानसिक रूप से बीमार शख्स को जंजीर में बांधकर नही रखा जा सकता। कोर्ट ने कहा ये उनके अधिकारो और उनके सम्मान के खिलाफ है।

 कोर्ट ने कहा कि एक मानसिक रोगी भी इंसान है, अगर वो हिंसक भी है, तो उन्हें अकेले रखा जा सकता है। जंजीर में बांध कर रखना समाधान नहीं है।

 संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत ऐसे व्यक्तियों के अधिकार के खिलाफ है और उनकी गरिमा से समझौता नही किया जा सकता।