छत्तीसगढ़ के बस्तर लोकसभा क्षेत्र के दंतेवाड़ा इलाके में  2 दिन पहले नक्सलियों द्वारा किए गए हमले में भाजपा विधायक विधायक भीमा मंडावी की मौत हो गई थी। इस हमले में उनकी सुरक्षा में तैनात चार सुरक्षाकर्मी भी शहीद हो गए थे। 

नक्सलियों ने भीमा मंडावी की गाड़ी को आईईडी ब्लास्ट से उड़ा दिया था। इसके बाद नक्सलियों ने फरमान जारी किया था कि जो भी मतदान करने जाएगा, वह जिंदा नहीं बचेगा। नक्सलियों ने धमकी दी थी कि अगर किसी के हाथ में स्याही का निशान दिखा तो उसकी खैर नहीं। 

नक्सलियों की चेतावनी के बावजूद भीमा मंडावी का परिवार अपने गम को भुला कर मतदान करने पहुंचा। उनके परिवार के सदस्यों ने बाकायदा लाइन में लगकर गदापाल मतदान केंद्र पर मतदान किया और लोकतंत्र में आस्था का भरोसा होने का संदेश दिया। 

भले ही नक्सलियों ने उनके परिवार के मुखिया विधायक भीमा मंडावी की हत्या कर दी हो लेकिन उसके बावजूद उनके अंदर लोकतंत्र को जिंदा रखने का जज्बा है। यही वजह है कि उन्होंने मतदान में हिस्सा लिया। साथ ही यह संदेश दिया कि लोकतंत्र में एक वोट की ताकत भी बहुत बड़ी होती है। 

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100 नक्सलियों ने घेरकर किया था हमला

दंतेवाड़ा में हुए इस हमले में 100 नक्सली शामिल थे। भीमा मंडावी दंतेवाड़ा क्षेत्र के ही विधायक थे। उनकी गाड़ी को उड़ाने बाद नक्सलियों ने ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं। पुलिस ने घटनास्थल से बारूदी सुरंग को लोकेशन बताने वाला एक जीपीएस भी बरामद किया है।

दंतेवाड़ा के एसपी अभिषेक पल्लव ने बुधवार को बताया कि इस घटना के दौरान नक्सली कमांडर विनोद और देवा के नेतृत्व में लगभग सौ नक्सलवादी मौजूद थे। इनमें से लगभग 60 हथियारबंद थे। बताया जाता है कि नक्सलियों ने बारूदी सुरंग विस्फोट में घायल हुए भाजपा विधायक और उनके सुरक्षाकर्मियों पर बाद में भी काफी समय तक फायरिंग की।