नई दिल्ली/लखनऊ।

लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में दूसरी लिस्ट जारी कर दी है। कांग्रेस ने यूपी में मुरादाबाद से प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष राजबब्बर को टिकट दिया है जबकि सुल्तानपुर के संजय सिंह को प्रत्याशी बनाया है। वहीं प्रतापगढ़ से रत्ना सिंह को टिकट दिया है। हालांकि पहले राजबब्बर के आगरा और मुंबई से चुनाव लड़ने की खबर आ रही थी। लेकिन उन्हें मुस्लिम बाहुल्य मुरादाबाद से पार्टी ने उतारा है।

कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश की और 16 सीटों के लिए लोकसभा प्रत्याशियों की अपनी दूसरी सूची जारी कर सपा-बसपा से गठबंधन की संभावनाओं को खत्म कर दिया है। कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर को मुरादाबाद से प्रत्याशी बनाया गया। जबकि नगीना (सुरक्षित) से ओमवती देवी जाटव, खीरी से जफर अली नकवी, सीतापुर से कैसरजहां, मिश्रिख (सुरक्षित) से मंजरी राही, मोहनलालगंज (सुरक्षित) से राम शंकर भार्गव, सुल्तानपुर से डा. संजय सिंह, प्रतापगढ़ से रत्ना सिंह, कानपुर से श्रीप्रकाश जायसवाल, फतेहपुर से राकेश सचान, बहराइच (सुरक्षित) से सावित्री बाई फूले, संत कबीरनगर से परवेज खान, बासगांव (सुरक्षित) से कुश सौरभ, लालगंज (सुरक्षित) से पंकज मोहन सोनकर, मिर्जापुर से ललितेशपति त्रिपाठी व रार्बट्सगंज (सुरक्षित) से भगवती प्रसाद चौधरी को प्रत्याशी बनाया है।

इस तरह अगर देखा जाए तो कांग्रेस प्रदेश में 27 लोकसभा सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। इससे पहले कांग्रेस ने राज्य में अमेठी और रायबरेली के साथ ही 11 प्रत्याशियों की सूची जारी की है। हालांकि राज्य के सत्ता के गलियारे में चर्चा है कि प्रियंका गांधी वाड्रा को कांग्रेस फूलपुर से उतार सकती है। प्रियंका पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी होने के साथ ही राष्ट्रीय महासचिव भी हैं। उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनावों के लिए सपा और बसपा के बीच गठबंधन है। सपा यूपी की 37 सीटों और बसपा 38 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। हालांकि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव अपने गठबंधन में कांग्रेस को भी शामिल बताते हैं क्योंकि उन्होंने अमेठी और रायबरेली की सीट कांग्रेस के लिए छोड़ दी है। 

गौरतलब है कि दो दिन पहले ही मायावती ने देश में कहीं भी कांग्रेस से गठबंधन न करने का ऐलान किया था। असल में मायावती की वजह से ही यूपी में हुए महागठबंधन में कांग्रेस को सम्मानजनक स्थिति नहीं मिल पाई। दरअसल उत्तर प्रदेश में दलित और मुस्लिम कभी कांग्रेस पार्टी के पुराने वोट बैंक रहे हैं। जिसे मायावती ने कांगेस से छीन लिया। अब मायावती को इस बात की आशंका रहती है कि उनका वोटबैंक कांग्रेस के पास न लौट जाए।