उत्तर प्रदेश में कांग्रेस मझधार में है. अभी तक समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी पर राज्य में गठबंधन के लिए डोरे डाल रही कांग्रेस को दोनों दलों ने अभी तक कोई तवज्जो नहीं दी है. जिसके कारण अब कांग्रेस राज्य में शिवपाल सिंह यादव की नई राजनैतिक पार्टी और छोटे दलों के साथ आगामी लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन की योजना बना रही है. 

असल में कांग्रेस के पास अब अकेले चुनाव लड़ने का या फिर राज्य के छोटे दलों के साथ चुनाव लड़ने का विकल्प बचा है. हालांकि सपा और बसपा की तरफ से किसी ने आधिकारिक तौर पर कांग्रेस के साथ चुनाव न लड़ने का ऐलान किया है. लेकिन बसपा प्रमुख मायावती और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पिछले कुछ समय से कांग्रेस से दूरी बनाकर रखी है. सपा और बसपा मध्य प्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस की राज्य सरकार को अपना समर्थन दे रहे हैं. इन दोनों दलों की उपेक्षा को देखते हुए कांग्रेस ने राज्य में कुछ दिन पहले बनी समाजवादी प्रगतिशील पार्टी के साथ नजदीकियां बढ़ानी शुरू कर दी है.

इस पार्टी का गठन सपा के दिग्गज रहे और मुलायम सिंह के भाई शिवपाल सिंह यादव ने किया है. शिवपाल सिंह यादव ने सपा से बगावत कर इस पार्टी का गठन किया है. हालांकि सपा ने शिवपाल पर कोई कार्यवाही नहीं की है. अभी भी वह विधानसभा में सपा के विधायक हैं.शिवपाल को पिछले महीने दिल्ली में कांग्रेस के द्वारा महागठबंधन के लिए विपक्षी दलों की बैठक में बुलाया गया था. इस बैठक में मायावती और अखिलेश यादव को भी बुलाया गया था. लेकिन दोनों नेता इस बैठक में नहीं आए। कुछ दिन पहले शिवपाल ने लखनऊ में एक बड़ी राजनैतिक रैली का आयोजन किया था और इसमें सपा संरक्षक मुलायम सिंह भी शामिल हुए थे. कांग्रेस न केवल शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया को साथ लेकर चलना चाहती है.

बल्कि राज्य के क्षेत्रीय दलों को भी इससे जोड़ना चाहती हैं.जो लोकसभा चुनाव में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं. पार्टी पीस पार्टी और निषाद पार्टी में भी कुछ संभावनाएं तलाशी जा रही हैं. कांग्रेस इसके साथ ही भाजपा के साथ राज्य में सरकार में शामिल सुभासपा के साथ ही भी गठबंधन की संभावनाओं को तलाश रही है जबकि अपना दल के दूसरे गुट पर भी उसकी नजर है। ताकि छोटे छोटे दलों के साथ गठबंधन कर ज्यादा सीटें जीती जा सके। असल में कांग्रेस अपने 2009 के प्रदर्शन को दोहराना चाहती है और इसी आधार पर सपा और बसपा के गठबंधन में सीटें चाह रही थी. हालांकि ऐसे भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस अकेले ही चुनाव मैदान में जाएगी. क्योंकि ज्यादातर छोटे दल सपा और बसपा के बीच बनने वाले गठबंधन में जाने के पक्ष में हैं. क्योंकि इससे उन्हें सीटें जीतने में कामयाबी मिलेगी.