आगामी लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में अपनी रणनीति बनाई है. इसके तहत एक लोकसभा सीटे के लिए एक मंत्री और चार विधायकों को जिम्मा दिया है. जो स्थानीय जनता के संपर्क में रहेंगे और उनकी समस्याओं को जल्द से जल्द दूर करेंगे. इन लोगों को स्थानीय कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने का जिम्मा भी है.

मध्य प्रदेश की 29 सीटों के लिए कांग्रेस ने अभी से कमर कल ली है. हालांकि अभी तक किसी भी सीट के लिए प्रत्याशियो का चुनाव नहीं किया गया है. लेकिन पार्टी ने अभी से रणनीति बनानी शुरू कर दी है. इसके तहत पार्टी हर लोकसभा सीट पर फोकस करेगी और एक सीट पर एक मंत्री के साथ चार विधायकों को लगाया गया है. दिल्ली में इस बारे में मुख्यमंत्री कमलनाथ की दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया व प्रभारी महासचिव दीपक बावरिया से चर्चा हुई है और इसका रोडमैप तैयार है. जिसे जल्द ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के सामने रखा जाएगा और उनकी मंजूरी मिलने के बाद उसे लागू किया जाएगा. कांग्रेस के रणनीतिकारों का मानना है कि इस रणनीति के तहत लोकसभा चुनाव में 20 से 22 सीटें मिल सकती हैं. 

इस रणनीति के तहत खासतौर पर आदिवासी अंचल की धार, खरगोन, मंडला, शहडोल, रतलाम-झाबुआ और बैतूल पर पार्टी का फोकस रहेगा. क्योंकि विधानसभा चुनाव में पार्टी को 47 विधानसभा सीटों में से 31 मिली हैं. हालांकि अभी इन हिस्सों की छह लोकसभा सीटों में से कांग्रेस के पास केवल एक सीट रतलाम ही है. हालांकि ऐसी भी माना जा रहा है कि राज्य की कमलनाथ सरकार अगले एक महीने के भीतर मंत्रिमंडल विस्तार कर सकती है. क्योंकि निर्दलीय विधायक और सपा और बसपा के विधायक नाराज चल रहे हैं. उन्हें मंत्रिमंडल मे शामिल कर सरकार पर बहुमत  का खतरा पूरी तरह से खत्म हो जाएगा. कमलनाथ पर छिंदवाड़ा की सीट को भी अपने काबू में रखने का दबाव है क्योंकि ये कांग्रेस की लोकसभा की अजेय सीटों में से एक है. यहां पर कमलनाथ नौवीं बार के सांसद हैं. जबकि गुना सीट पर ज्योतिरादित्य सिंधिया पांचवीं बार के सांसद हैं.