कांग्रेस ने 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए पार्टी का घोषणापत्र मंगलवार को जारी कर दिया। लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी रोजगार मुहैया कराने के वादे को सामने रखते समय एक बार फिर आंकड़ों के खेल में उलझ गए लगते हैं। 

राहुल गांधी ने घोषणापत्र पर अपनी बात रखते समय कोई वादा न तोड़ने की बात कही। उन्होंने कहा, ‘मैंने जो वादे किए हैं, उनको नहीं तोड़ूंगा।’ लेकिन घोषणापत्र जारी करने से पहले कही गई इस बात में वह ट्रैक से भटके नजर आए।

राहुल गांधी रोजगार के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लगातार निशाना साधते रहे हैं। 20 मार्च को मणिपुर के इंफाल में राहुल गांधी ने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2018 में एक करोड़ नौकरियों को हिंदुस्तान से साफ कर दिया। 

लेकिन कांग्रेस के घोषणापत्र में केंद्र सरकार के विभागों और केंद्रीय पीएसयू में महज चार लाख भर्तियों की ही बात कही गई है। राहुल गांधी ने कहा है कि वह मार्च 2020 से पहले इन सभी को भर देंगे। 

संभवतः राहुल गांधी भूल गए कि ये खाली पद साल 2004 से 2014 तक के बीच दस साल तक चली कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार की ही देन हैं। 

सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस सरकार के साल 2014 में सत्ता छोड़ते समय सरकारी सेवाओं में 19 प्रतिशत पद खाली पड़े थे। यह आंकड़ा एक जनवरी, 2014 तक का है।

जनवरी, 2014 में 56 मंत्रालय और विभाग कर्मचारियों की कमी से जूझ रहे थे। इन जगहों पर 7,28,870 पद खाली थे। एक रिपोर्ट के मुताबिक, लगभग 3,890,112  स्वीकृत क्षमता में से सिर्फ 3,161,242 पद ही भरे हुए थे। 

यूपीए सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के बाद 2014 में बनी भाजपा सरकार के लिए 7.5 लाख पद खाली छोड़े थे। वित्त मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, पहली मार्च, 2016 तक इनमें से लगभग चार लाख पद ही भर सके। यानी मोदी सरकार बनने के पहले दो साल में खाली पड़े लगभग चार लाख सरकारी पदों पर भर्तियां हुईं। 

राहुल गांधी ने कांग्रेस का घोषणापत्र जारी करते हुए पंचायतों, नगर पालिकाओं, नगर निगमों में मार्च 2020 तक 20 लाख युवाओं को नौकरी देने का वादा किया है। हालांकि इसकी घोषणा बिना किसी जमीनी तैयारी के कर दी गई लगती है। उन्होंने यह नहीं बताया है कि वह इन लोगों को दिए जाने वाले वेतनमान और दूसरी सुविधाओं के लिए पैसा कहां से जुटाएंगे। इन सभी वादों को जमीनी धरातल पर उतारने के लिए कांग्रेस की ओर से कोई योजना पेश नहीं की गई है, अलबत्ता इतना जरूर कहा गया है कि वह राज्य सरकारों से खाली पदों को भरने का अनुरोध करेंगे।