नई दिल्ली। देश में अभी तक कोरोना की वैक्सीन नहीं आई है और कोरोना के बीमारी के लिए कोई दवा  भी नहीं है। जिसके कारण देश में एक लाख के करीब लोग अपनी जान गवा चुके हैं। वहीं दिल्ली के सरिता विहार स्थित ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद यानीएआइआइए में आने वाले सभी  कोरोना संक्रमित ठीक होकर वापस जा रहे हैं। अस्पताल में मरीजों के स्वस्थ होने का रिकार्ड 100 फीसद है। बताया जा रहा है कि अस्पताल में अभी  तक 275 कोरोना संक्रमितों का सफल इलाज आयुर्वेद के जरिए किया जा चुका है।

कोरोना की कोई वैक्सीन तैयार नहीं है और पिछले छह महीने से अस्पतालों से अक्सर संक्रमितों की मौत की खबरें आती हैं। लेकिन इस सबके के बीचआयुर्वेद का एम्स कहे जाने वाले ऑल इंडिया इंस्‍टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद (एआइआइए) ने नए रिकार्ड बनाए हैं। यहां पर आने वाले किसी भी कोरोना संक्रमित की मौत नहीं हुई है। सभी भर्ती मरीज आयुर्वेद व योग के जरिए ठीक हो रहे हैं।  अस्पताल में अभी  तक 275 कोरोना संक्रमितों का सफल इलाज किया जा चुका है। जानकारी के मुताबिक अस्पताल में कोरोना का एक ही वार्ड है,  और इसमें 50 बेड हैं।  

इन दिनों अस्पताल में 50 मरीजों का इलाज चल रहा है।  अस्पताल के चिकित्सकों का कहना है कि कम लोग ही आयुर्वेद से कोरोना का उपचार कराना चाहते हैं। क्योंकि लोगों को लगता है कि आयुर्वेद से वह ठीक नहीं हो सकते हैं। जबकि सच्चाई कुछ और है। क्योंकि आयुर्वेद से कोरोना का उपचार संभव है  और आज कल जो भी मरीज ठीक हो रहे हैं वह आयुर्वेद के घरेलू उपचार से ही ठीक हो रहे हैं। अस्पताल की निदेशक तनुजा मनोज नेसरी का कहना है कि अब तक 275 कोरोना मरीजों का उपचार किया गया है। सभी स्वस्थ होकर अस्पताल से डिस्चार्ज हो चुके हैं।

जानें कैसे होता है इलाज

अस्पताल में मरीज को रोजाना काढ़ा दिया जाता है, जो दाल चीनी, काली मिर्च, सोंठ, तुलसी और मुनक्का से तैयार किया जाता है। इसके साथ ही आयुर्वेद की औषधि दी जाती है, जिसमें आयुष-64, सुदर्शन वटी, गिलोय की वटी समेत अन्य कई औषधियां हैं। वहीं मरीज को रात के समय हल्दी वाला दूध दिया जाता है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को तेजी से बढ़ाता है। वहीं मरीजों को सुबह और शाम योग कराया जाता है, जिससे शरीर में ताकत  बढ़ती है और मरीज के भीतर प्रतिरोधक क्षमता  में इजाफा होता है। इसके साथ ही हर मरीज को आठ घंटे की नींद लेने की सलाह दी जाती है। यही नहीं उसके मनोरंजन का भी ख्याल रखा जाता है और प्रतिदिन दिन में एक से दो घंटे संगीत भी सुनाया जाता है, जो उनके जल्द ठीक होने में मदद करता है।