जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ हाल के दशक का सबसे बड़ा आतंकी हमला झेला। नक्सली इलाकों में भी यह केंद्रीय सुरक्षा बल जान जोखिम में डालकर सुरक्षा मुहैया करा रहा है। 14 फरवरी को जहां एक सिरफिरे आतंकी ने सीआरपीएफ के 40 जांबाजों की जान ले ली। वहीं झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले में 14 फरवरी को हुई मुठभेड़ के बाद सीआरपीएफ के जवानों ने मानवता की नई मिसाल पेश की। इस मुठभेड़ में एक महिला नक्सली गंभीर रूप से घायल हो गई थी, उसकी जान बचाने के लिए सीआरपीएफ के तीन जवानों ने रक्तदान किया।

पुलिस अधीक्षक चंदन कुमार झा ने बताया कि पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि उग्रवादी समूह के स्वघोषित उप-मंडलीय कमांडर कांडे होन्हागा के नेतृत्व में करीब 24 माओवादी किसी ‘साजिश’ को अंजाम देने के लिए एकत्र हुए हैं।

इसके बाद, सीआरपीएफ के 174 जवानों और जिला पुलिस के 60 कर्मियों की एक टीम अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (अभियान) मनीष रमन की अगुवाई में जिले के मुफ्फसिल और गोइलकेरा पुलिस थाना क्षेत्रों के बीच पड़ने वाले घटनास्थल की ओर रवाना हुई। झा ने बताया कि सुरक्षाबलों ने नक्सलियों से आत्मसमर्पण करने को कहा, लेकिन नक्सलियों ने बारूदी सुरंग में विस्फोट कर दिया और गोलीबारी शुरू कर दी।

सुरक्षाकर्मियों ने दोनों तरफ से जंगल को घेर लिया लेकिन माओवादियों ने उन पर गोलीबारी जारी रखी, जिसकी वजह से सुरक्षाबलों को भी जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी। इसके बाद नक्सली भाग गए। तलाशी अभियान के दौरान सुरक्षाकर्मियों ने खून से लथपथ एक महिला को देखा।

उन्होंने बताया कि महिला नक्सली के बाएं पैर में गोली लगी थी। उसे सोनुआ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जिसके बाद उसे सदर अस्पताल, चाईबासा भेज दिया गया। बाद में महिला को बेहतर इलाज के लिए एम जी एम अस्पताल रेफर कर दिया गया।

रमन ने कहा कि एएसआई पंकज शर्मा, हेड कांस्टेबल बिचित्र कुमार स्वैन और कांस्टेबल बीरबहादुर यादव ने उसका जीवन बचाने के लिए रक्तदान किया। तलाशी अभियान के दौरान, सुरक्षाकर्मियों ने जंगल में एक नक्सल शिविर को ध्वस्त कर दिया और भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री नष्ट कर दी। 
पुलिस ने 57 राउंड कारतूस भी जब्त किए।