आने वाले समय में नकदी की समस्या से आम आदमी को जूझना पड़ सकता है। हालांकि सरकार का दावा है कि बाजार में नकदी की कमी नहीं होगी। लेकिन जिस तेजी से बाजार में दो हजार के नोट गायब हो रहे हैं, उसको देखते हुए लगता है कि बाजार में नकदी संकट फिर सकता है। इसके साथ ही सरकार ने दो हजार के नोट छापने बंद कर दिए हैं।

सरकार दो हजार के नोटों के छापने को लेकर ज्यादा संजीदा नहीं है। लिहाजा कम छपाई के कारण दो हजार के नोट चलन से तेजी से बाहर हो रहे हैं। बाजार में 2017 के दौरान दो हजार के नोटों की हिस्सेदारी 50 फीसद थी जो जो अब घटकर सिर्फ 37 फीसद रह गई है। दो साल पहले नोटबंदी के बाद जारी किए गए दो हजार रपए के करेंसी नोट की छपाई भी ‘‘न्यूनतम स्तर पर’ पहुंच गई है। केन्द्र सरकार ने नोटबंदी के दौरान नवम्बर, 2016 में दो हजार का नोट जारी किया था। क्योंकि सरकार ने 500 और 1000 रपए के नोटों को चलन से हटा दिया था। उसके बाद रिजर्व बैंक ने 500 के नए नोट के साथ 2000 रपए का भी नोट जारी किया।

असल में रिजर्व बैंक और सरकार समय-समय पर करेंसी की छपाई की मात्रा पर फैसला करते हैं। ये फैसला चलन में मुद्रा की मौजूदगी के हिसाब से किया जाता है। जिस समय 2000 का नोट जारी किया गया था तभी यह फैसला किया गया था कि धीरे-धीरे इसकी छपाई को कम किया जाएगा। बहरहाल सरकार ने 2000 के नोटों की छपाई काफी कम कर दी गई है। इसके साथ ही आने वाले समय में ये छपाई और ज्यादा कम हो सकती है क्योंकि 2000 के नोटों की छपाई को न्यूनतम स्तर पर लाने का फैसला किया गया है। गौरतलब है कि मार्च 2018 के अंत तक कुल 18,037 अरब रपए की करेंसी चलन में थी। इनमें 2000 के नोटों का हिस्सा घटकर 37.3 प्रतिशत रह गया।