नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने लोगो जल्द न्याय मिल सके इसके लिए प्रदेश सरकार को 18 फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने का आदेश दिया है। यह आदेश दिल्ली हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन की अध्यक्षता वाली पीठ ने दिया है। कोर्ट दिल्ली सरकार को 22 कमर्शियल कोर्ट की स्थापना का भी आदेश दिया है। 

कोर्ट ने कहा कि हमने तय कर लिया है कि लंबित मामलों की सुनवाई के लिए कितने कोर्ट और जज की जरूरत है। कोर्ट के मुताबिक फिलहाल दिल्ली में 6,414 केस पोक्सो एक्ट से संबंधित लंबित है, जबकि 2800 मामले यौन उत्पीडन के लंबित है। 

हाइकोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 309 के तहत रेप और यौन उत्पीड़न मामलों में आरोप पत्र दाखिल होने के दो महीने के अंदर फैसला आ जाना चाहिए। हालांकि की दिल्ली हाइकोर्ट ने यह भी कहा कि जब तक कोर्ट की संख्या नहीं बढ़ेगी तब तक समय पर केस की सुनवाई मुश्किल है। 

दिल्ली हाइकोर्ट का यह आदेश एक याचिका पर सुनवाई के बाद आया है। हाइकोर्ट ने कहा कि हमने दिल्ली सरकार को इस मामले पर 30 मई तक का समय दिया है। इस दौरान दिल्ली सरकार ने क्या फैसला लिया है यह बताना होगा। हाइकोर्ट ने कहा कि हमने एडिशनल सेशन जज के पद पहले ही सृजित कर दिए है जो फास्ट ट्रैक कोर्ट में जज बनेंगे।