प्रवर्तन निदेशालय ने चंद्रकला के खिलाफ अवैध खनन मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है। इससे पहले सीबीआई की टीम ने द्वारा चंद्रकला के घर पर छापेमारी की थी। यह केस बी. चंद्रकला समेत अन्य के खिलाफ दर्ज किया गया है। 

यह मामला 2012-16 के दौरान उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव समेत राज्य के खनन मंत्रियों की भूमिका की जांच के लिए सीबीआई की प्राथमिकी पर आधारित है। 

सीबीआई की प्राथमिकी के मुताबिक 2012 से 2017 के बीच मुख्यमंत्री रहे अखिलेश यादव के पास 2012-2013 के बीच खनन विभाग का अतिरिक्त प्रभार था। इससे उनकी भूमिका जांच के दायरे में आ जाती है। उनके बाद 2013 में गायत्री प्रजापति खनन मंत्री बने थे। 

यह प्राथमिकी सीबीआई द्वारा 2 जनवरी 2019 को दर्ज किए गए अवैध खनन के मामलों से जुड़ा है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट के निर्देश पर सीबीआई ने 2016 में इस मामले की जांच शुरू की। सीबीआई ने इस सिलसिले में अज्ञात लोगों के साथ-साथ सरकारी अधिकारियों के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज किया है। एफआईआर में कुछ नेताओं और अधिकारियों, सरकारी मुलाजिमों के भी नाम है। 

अवैध खनन मामले में आईएएस अफसर बी. चंद्रकला के अलावा आदिल खान, तत्कालीन खनन अधिकारी मोइनुद्दीन, समाजवादी पार्टी के एमएलसी रमेश मिश्रा और उनके भाई, खनन क्लर्क राम आश्रय प्रजापति, अंबिका तिवारी (हमीरपुर), एसपी के एमएलसी संजय दीक्षित, खनन क्लर्क राम अवतार सिंह और उनके रिश्तेदार आरोपी हैं।