सीबीआई प्रमुख के पद से हटाए गए आलोक वर्मा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। पद से हटाने के बाद वर्मा को फायर सर्विसेज के डीजी का चार्ज दिया गया था। हालांकि उन्होंने चार्ज लेने से पहले ही इस्तीफा दे दिया। उन्होंने एक बयान जारी कर कहा, 'प्राकृतिक न्याय तबाह हो गया और पूरी प्रक्रिया सिर्फ इसलिए उलट दी गई कि मुझे डायरेक्टर पद से हटाना है।' वर्मा 31 जनवरी को रिटायर होने वाले थे। 

वर्मा ने अपने त्याग-पत्र में कहा कि यह ‘सामूहिक आत्ममंथन’ का क्षण है। कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के सचिव को भेजे गए अपने इस्तीफे में वर्मा ने कहा, ‘यह भी गौर किया जाए कि अधोहस्ताक्षरी (नीचे दस्तखत करने वाला) 31 जुलाई 2017 को ही सेवानिवृत हो चुका था और 31 जनवरी 2019 तक सीबीआई के निदेशक के तौर पर अपनी सेवा दे रहा था, क्योंकि यह तय कार्यकाल वाली भूमिका होती है। अधोहस्ताक्षरी अब सीबीआई निदेशक नहीं है और महानिदेशक दमकल सेवा, नागरिक सुरक्षा एवं गृह रक्षा के पद के लिहाज से पहले ही सेवानिवृति की उम्र पार कर चुका है। अत: अधोहस्ताक्षरी को आज से सेवानिवृत समझा जाए।’ 

भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के 1979 बैच के अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम एवं केंद्रशासित प्रदेश (एजीएमयूटी) कैडर के अधिकारी वर्मा का तबादला कल महानिदेशक दमकल सेवा, नागरिक सुरक्षा एवं गृह रक्षा के पद पर कर दिया गया था। 

सीबीआई निदेशक के पद पर वर्मा का दो वर्षों का कार्यकाल आगामी 31 जनवरी को पूरा होने वाला था। लेकिन इससे 21 दिन पहले ही प्रधानमंत्री मोदी, लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए के सीकरी की समिति ने 2-1 के बहुमत से वर्मा को सीबीआई प्रमुख के पद से हटाने का फैसला किया। मोदी और न्यायमूर्ति सीकरी वर्मा को सीबीआई निदेशक पद से हटाने के पक्ष में थे जबकि खड़गे ने इसका विरोध किया।

वहीं वर्मा को हटाने के बाद एक बार फिर सीबीआई के अंतरिम निदेशक का जिम्मा संभालने वाले एम नागेश्वर राव ने पूर्व निदेशक आलोक वर्मा द्वारा किए गए तबादलों संबंधी फैसले को रद्द कर दिया है। अधिकारियों की आठ जनवरी वाली स्थिति बहाल कर दी गई है। राव ने शुक्रवार को जारी नए आदेश में घोषणा की कि वर्मा द्वारा दिए गए आदेश ‘अस्तिव में नहीं हैं।’

आदेश में कहा गया, ‘ट्रांसफर के संबंध में लिए गए सभी कदमों को अमान्य घोषित किया जाता है। दूसरे शब्दों में, आठ जनवरी 2019 की स्थिति बहाल की जाती है।’

सुप्रीम कोर्ट ने वर्मा को जबरन छुट्टी पर भेजे जाने के आदेश को मंगलवार को रद्द कर दिया था। इसके बाद वर्मा ने राव द्वारा किए गए सभी तबादले रद्द कर दिए थे। उन्होंने विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ मामले की जांच के लिए एक नया जांच अधिकारी भी नियुक्त किया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, न्यायमूर्ति ए के सीकरी और लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की सदस्यता वाली उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने वर्मा का सीबीआई से बृहस्पतिवार को तबादला कर दिया था।

सरकार ने अतिरिक्त निदेशक नागेश्वर राव को एजेंसी का प्रभार सौंपा। वर्मा और अस्थाना को जबरन छुट्टी पर भेजे जाने के दौरान भी राव ने 77 दिनों तक प्रभार संभाला था। सुप्रीम कोर्ट ने राव को कोई भी बड़ा नीतिगत निर्णय लेने से रोक दिया था लेकिन इस बार उनके कार्यकाल में ऐसी कोई शर्त नहीं है।

एक सीबीआई प्रवक्ता ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि राव ने बृहस्पतिवार नौ बजे एजेंसी का कार्यभार संभाला।