ब्रह्मोस एयरोस्पेस के एक कर्मचारी के जासूसी में लिप्त पाए जाने का खुलासा होने के बाद से कंपनी में हड़कंप मचा हुआ है। अब सरकार इस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के कर्मचारियों के सैन्य प्रतिष्ठानों और संवेदनशील सूचनाओं तक पहुंच पर कड़ी पाबंदियां लगाने की तैयारी कर रही है।

इस हफ्ते की शुरुआत में यूपी के एंटी टेरर स्क्वॉड ने ब्रह्मोस एयरोस्पेस के कर्मचारी निशांत अग्रवाल को नागपुर इकाई से गिरफ्तार किया था। उस पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई को संवेदनशील सूचनाएं लीक करने का आरोप है। इसके बाद जांच टीमों ने ब्रह्मोस की हैदराबाद इकाई को भी खंगाला था। यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि कहीं ब्रह्मोस से जुड़ा और डाटा तो लीक नहीं हुआ है। 

सरकार के एक वरिष्ठ सूत्र ने 'माय नेशन' को बताया, 'यह देखने में आया है कि ब्रह्मोस के कई कर्मचारियों के पास रक्षा प्रतिष्ठानों तक जाने के लिए कार्ड होते हैं, जबकि ये लोग रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी डीआरडीओ के कर्मचारी नहीं हैं। इन कार्डों से ये लोग रक्षा मंत्रालय और दूसरे रक्षा प्रतिष्ठानों में आते-जाते रहते हैं। इसलिए यह महसूस किया जा रहा है कि इस तरह की आवाजाही को सीमित करने के लिए कड़ी पाबंदियां लगाई जानी चाहिए।'

भारत और रूस ने 20 साल पहले विश्व की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के निर्माण के लिए संयुक्त उपक्रम स्थापित किया था। सरकार के इस कदम को किसी भी तरह की सूचना को लीक होने के रोकने के उपायों के तहत देखा जा रहा है। 

ब्रह्मोस एयरोस्पेस में डीआरडीओ के कुछ कर्मचारी भी काम करते हैं। इन लोगों को मिसाइल प्रणाली कि डिजाइन एवं विकास में मदद के लिए ब्रह्मोस में स्थानांतरित किया गया है। इसके अलावा कंपनी बड़ी संख्या में वैज्ञानिकों एवं तकनीशियनों का खुद चयन करती है। ये लोग किसी भी  तरह से रक्षा मंत्रालय का हिस्सा नहीं होते। 

बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों से सेवानिवृत्त अधिकारी ब्रह्मोस में सलाहकार के तौर पर काम कर रहे हैं। कंपनी मिसाइल के इस्तेमाल से जुड़ी जरूरतों और आवश्यक खूबियों के साथ मिसाइल के विकास जैसे क्षेत्रों इन अधिकारियों की मदद लेती है। 

केरल और राजस्थान समेत ब्रह्मोस ने पिछले दस साल में अपने प्रतिष्ठानों की संख्या में काफी विस्तार किया है। सरकार ब्रह्मोस एयरोस्पेस की सुरक्षा में लगी सेंध के  कारणों को गंभीरता से देख रही है। ब्रह्मोस परिसरों की सुरक्षा की जिम्मेदारी कार्पोरेशन के चीफ एक्जीक्यूटिव अधिकारी पर होती है। 

जांच एजेंसियां पूछताछ के दौरान ब्रह्मोस के कर्मचारी से मिली सूचनाओं पर काम कर रही हैं। साथ ही इस्लामाबाद में बनी फर्जी आईडी से अग्रवाल के साथ हुई चैट का बारीकी से विश्लेषण कर रही हैं। माना जा रहा है कि दोनों आईडी को पाकिस्तान में आईएसआई हैंडलर द्वारा बनाया गया था। 

ब्रह्मोस के नागपुर केंद्र से अग्रवाल दो फर्जी आईडी के संपर्क में था। ये दोनों आईडी 'नेहा शर्मा' और 'पूजा रंजन' के नाम से बनाई गई थीं। इस तरह के फर्जी फेसबुक एकाउंट को भारत के वरिष्ठ अफसरों तक पहुंचने के लिए बनाया जाता है। दुश्मन देश की खुफिया एजेंसी वर्चुअल वर्ल्ड के जरिये उन्हें हनी ट्रैप में फंसाने की कोशिश करती हैं।