यूपी के बहुचर्चित खनन घोटाले में केंद्रीय जांच ब्यूरो एक वरिष्ठ पत्रकार की भूमिका की जांच कर रहा है। उन पर इस घोटाले में कथित तौर पर मिडिलमैन की भूमिका निभाने का संदेह है। सीबीआई के सूत्रों ने 'माय नेशन' को बताया कि ई-नीलामी की निर्धारित प्रक्रिया का उल्लंघन कर निजी कंपनियों को खनन पट्टे लीज पर दिए जाने के इस मामले में वह कथित तौर पर मध्यस्थ की भूमिका निभा रहे थे। 

यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री और खनन मंत्री अखिलेश यादव भी इस घोटाले में जांच के दायरे में हैं। यह घोटाला कई करोड़ का है। सीबीआई पहले ही हमीरपुर की डीएम बी चंद्रकला को घोटाले का मुख्य आरोपी बता चुकी है। 

लुटियंस मीडिया और घोटाले 

ऐसा पहली बार नहीं है जब लुटियंस जर्नलिस्ट का नाम किसी बड़े घोटाले में उभरा हो। 75,000 करोड़ रुपये के 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले में कई प्रमुख टीवी एंकरों और वरिष्ठ पत्रकारों के दलाल के तौर पर काम करने के ऑडियो टेप पहले भी सार्वजनिक हो चुके हैं। 

1.76 लाख करोड़ रुपये के कोयला घोटाले में भी कई मीडियाकर्मियों की आरोपी कंपनियों की तरफ से भूमिका सामने आई थी। यूपीए के समय के एक और अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले में भी कुछ जर्नलिस्ट के नाम उछल रहे हैं। इस मामले में मुख्य दलाल क्रिश्चियन मिशेल को दुबई से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया है।   

मीडियाकर्मी या दलाल?

सूत्रों के अनुसार, दिल्ली में रहने वाले ये वरिष्ठ पत्रकार घोटाले में शामिल कुछ बड़ी राजनीतिक शक्तियों और पट्टे पाने वालों के संपर्क में थे। बताया जाता है कि एक अखबार में बड़ी जिम्मेदारी संभाल रहे इस पत्रकार के पास राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में कई रिहायशी संपत्तियां हैं। वह काफी समय से मीडिया में सक्रिय हैं और कई अखबारों को चलाने की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। 
 
सीबीआई सूत्रों के अनुसार, इस मामले में वरिष्ठ पत्रकार की भूमिका और संभावित अपराध की जांच की जा रही है। 

सीबीआई की ओर दर्ज एफआईआर के मुताबिक, 'यूपी सरकार द्वारा निर्धारित ई-टेंडर प्रक्रिया का पालन किए बगैर कुछ सरकारी कर्मचारियों ने दूसरों के साथ मिलकर आपराधिक साजिश रची और अवैध तरीके से पट्टे फिर से लीज पर दिए। पहले से चले आ रहे पट्टों का नवीनीकरण किया गया।'