कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के एक बयान पर विवाद खड़ा हो गया है। आजाद ने कहा, मोदी सरकार के समय में हिंदू-मुसलमानों के बीच दूरियां बढ़ गई हैं। देश का माहौल खराब हुआ है। अब उन्हें हिंदू भाई प्रचार के लिए नहीं बुलाते हैं। वह एक कार्यक्रम के सिलसिले में लखनऊ पहुंचे गुलाम नबी ने यह बात कही। 

उन्होंने कहा, वक्त काफी बदल गया है। लोग बंट रहे हैं। परिवार भी आपस में बंट रहे हैं। मैंने पाया है कि बीते चार साल में अपने कार्यक्रमों में बुलाने वाले 95 प्रतिशत हिंदू भाई और नेता अब घटकर 20 % रह गए हैं। उन्होंने कहा, 'जब मैं युवा कांग्रेस में था, तब से ही अंडमान-निकोबार से लेकर लक्षद्वीप तक कोने-कोने में प्रचार के लिए जाता था। तब अपने कार्यक्रम में बुलाने वाले 95 प्रतिशत हिंदू भाई हुआ करते थे। मुसलमानों की संख्या महज 5 फीसदी ही रहती थी। 

आजाद के इस बयान की भाजपा ने कड़ी आलोचना की है। पार्टी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, 'आजाद ने अपने बयान से हिंदुओं को नीचा दिखाने की कोशिश है। उनके इस बयान से कांग्रेस का 'छद्म धर्मनिरपेक्षता' का चेहरा उजागर हुआ है। कांग्रेस अपने बयानों से हिंदुओं को कमजोर आंकने और उनका मनोबल तोड़ने का काम कर रही है। कांग्रेस नेता भगवा आतंकवाद, हिंदू तालिबान और अच्छा हिंदू जैसी भाषा बोलते रहे हैं।'

कुछ दिन पहले पार्टी के एक और वरिष्ठ नेता और सांसद शशि थरूर ने भी हिंदुओं को लेकर विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा था, 'कोई भी अच्छा हिंदू विवादित स्थान पर राम मंदिर नहीं चाहेगा। हिंदू अयोध्या को राम का जन्म स्थान मानते हैं इसलिए अच्छा हिंदू ढहाए गए पूजा स्थल पर राम मंदिर नहीं चाहेगा।' कांग्रेस नेताओं की ओर से ये बयान ऐसे समय में आ रहे हैं, जब पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी सॉफ्ट हिंदू की छवि को जनता के बीच रखने के लिए मंदिर-मंदिर दर्शन के लिए जा रहे हैं।