दक्षिण एशिया अपने प्रमुख वार्षिक मानसून के लिए तैयार हो रहा है ऐसे में दुनियाभर के मौसम वैज्ञानिक सैकड़ों सैटेलाइट और आंकड़ों के आधार पर आगामी मानसून की स्थिति का आंकलन कर रहे हैं। 

जहां एक दिन पहले देश की प्रमुख निजी मौसम एजेंसी स्काईमेट ने दावा किया कि इस साल मानसून चार दिन की देरी के साथ 4 जून को केरल के पश्चिमी तट पर दस्तक देगा वहीं बुधवार को केन्द्र सरकार के मौसम विभाग के आंकलन के मुताबिक इस साल मानसून 6 जून को केरल के तट पर दस्तक देने जा रहा है।

भारत के लिए यह दक्षिण-पश्चिम मानसून बेहद अहम है। इस दौरान देश के अलग-अलग इलाकों में जून से सितंबर तक बारिश होती है और यह अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए बेहद अहम है। 

मानसून का आर्थिक महत्व

इस दक्षिण-पश्चिम मानसून पर देश का प्रमुख कृषि सीजन निर्भर है. देश की खरीफ पैदावार पूरी तरह से इस मानसून के सहारे चलती है और देश की कृषि अर्थव्यवस्था का स्वास्थ मानसून पर पूरी तरह आश्रित है। इसके अलावा मई और जून की भीषण गर्मी और लू से भी राहत इस मानसून के जरिए आती है। 

केन्द्रीय मौसम विभाग के मुताबिक इस साल दक्षिण-पश्चिम मानसून के आगमन में सात दिनों का विलंब देखने को मिल सकता है। केन्द्रीय मौसम विभाग बीते 14 साल से मानसून का आंकलन कर रहा है हालांकि बीते कुछ वर्षों के दौरान तकनीकि तौर पर अधिक सक्षम हुए मौसम विभाग ने मानसून के आगमन और चाल की सफल भविष्यवाणी की है।

स्काईमेट: 4 जून को केरल के तट पर मानसून की पहली बारिश, कमजोर रहेगी एंट्री

मौसम विभाग की क्षमता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा है कि हाल में देश के पश्चिमी छोर पर आए चक्रवात फानी की स्थिति का उसने सफल आंकलन किया और इस आंकलन के आधार पर चक्रवात के केन्द्र में आए ओडिशा राज्य में 11 लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले जाने का काम किया गया। 

हालांकि चक्रवात की स्थिति के आंकलन में मौसम विभाग के साथ-साथ निजी एजेंसी स्काईमेट का भी अहम योगदान है। स्काईमेट देश की एक मात्र निजी मौसम एजेंसी है और सरकार के मौसम विभाग के साथ-साथ देश में मौसम के आंकलन में इसका बेहद अहम योगदान रहता है।

जानें कितना सटीक है मौसम विभाग

मौसम विभाग का अपना दावा है कि बीते 14 साल के दौरान उसकी मानसून को लेकर सभी भविष्यवाणी सटीक रही हैं हालांकि 2015 में उसका आंकलन औंधे मुंह गिर गया था।