राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।  लेकिन इसे बार फिर अगली तारीख के लिए बढ़ा दिया गया है। अब राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट में 10 जनवरी को नए सिरे से सुनवाई होगी जिसमें मामले की आगे की रूपरेखा तय होगी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर देशभर की नजर लगी हुई थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सभी तीनों पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिसके बाद करीब आठ साल से ये मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।

ये मामला सुप्रीम कोर्ट की लिस्टिंग में आज सातवें स्थान पर था। लेकिन अब इस मामले को अगली सुनवाई के लिए टाल दिया गया। अब कोर्ट दस जनवरी को इस मामले में सुनवाई करेगा।  मामले से जुड़ी एक नई जनहित याचिका भी सुनवाई के लिए लगी थी। जिसमें अयोध्या मामले की अपीलों पर तय समय में सुनवाई की मांग की गई है। इस मामले की सुनवी मेरिट पर होनी है। उधर एक याचिका शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड की है, जिसने अयोध्या में मंदिर बनवाने के लिए हिन्दुओं का समर्थन किया है। असल में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित 2,.77 एकड़ भूमि को तीन पक्षों सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच बराबर बराबर बांटने का फैसला सुनाया था।

पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने मामले की सुनवाई की तारीख और बेंच पर फैसला करने की बात कही थी। वहीं केंद्र सरकार चाहती है कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले की सुनाई रोजाना के आधार पर हो। देश में आम चुनाव होने हैं और इसको देखते हुए ये सुनवाई काफी अहम है। आम चुनाव में कुछ ही महीने बचे हैं और राजनीतिक गलियारों के साथ-साथ तमाम संगठनों के द्वारा सरकार पर अध्यादेश लाने का दबाव है। तीन दिन पहले एक न्यूज एजेंसी को दिए गए इंटरव्यू में पीएम मोदी ने साफ कहा था कि भाजपा राम मंदिर पर कोई अध्यादेश नहीं लाएगी।

इस पर फैसला कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही लिया जाएगा। उन्होंने कांग्रेस के नेताओं पर इस मामले में कानूनी प्रक्रिया को धीमा करने का आरोप लगाया था। हालांकि अनेक हिंदू संगठन विवादित स्थल पर राम मंदिर का जल्द निर्माण करने के लिए अध्यादेश लाने की मांग कर रहे हैं। वहीं, बीजेपी के सहयोगी और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने गुरुवार को राम मंदिर मुद्दे पर अध्यादेश का विरोध किया।