सियासी वार-पलटवार में 'मैं भी चौकीदार' और 'चौकीदार चोर है' का नारा सबसे बड़ा हथियार बना हुआ है। इसके उलट केंद्र सरकार का राजस्व बटोरने वाला एक अहम विभाग 1 अप्रैल 2019 की सुबह नए वित्त वर्ष की शुरुआत के साथ अपना चौकीदार खड़ा करने जा रही है। टैक्स विभाग को इस चौकीदार से उम्मीद है कि देश में इनकम टैक्स की चोरी को नामुमकिन करते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था में टैक्स की चोरी के मामले को शून्य फीसदी कर दे। यानी 1 अप्रैल 2019 से देश में इनकम टैक्स की चोरी असंभव हो जाएगी।

वित्त मंत्रालय ने इनकम टैक्स विभाग के कंप्यूटर नेटवर्क में एक हजार करोड़ रुपये की लागत से तैयार हुए टैक्स ट्रैकर सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करा दिया है। इस सॉफ्टवेयर का काम है कि टैक्स विभाग के कंप्यूटर नेटवर्क में मौजूद करदाताओं की आमदनी और खर्च का आंकलन करे। इस आंकलन में यह टैक्स ट्रैकर इनकम टैक्स चोरी के मामलों को बिग डेटा और आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस जैसी आधुनिकतम टैक्नोलॉजी की मदद से खोज निकाले और टैक्स विभाग को चोरी के संभावित मामलों की सूचि निकाल कर दे।

सूत्रों के मुताबिक कई साल की लगातार मेहनत के बाद इस टैक्स ट्रैकर सॉफ्टवेयर को तैयार किया गया है और वित्त मंत्रालय ने 15 मार्च 2019 को इस सॉफ्टवेयर को टैक्स विभाग को सौंप दिया है जिससे इसे नेटवर्क पर इंस्टॉल करने का काम समयसीमा में पूरा कर लिया जाए।

गौरतलब है कि जहां जुलाई 2017 में देश में जीएसटी लागू किए जाने के बाद केन्द्र सरकार ने राजस्व के इस सबसे अहम श्रोत का 100 फीसदी कंप्यूटराइजेशन करते हुए गुड्स और सर्विसेज पर लगने वाले टैक्स के ढांचे को पहले ही सुरक्षित करने का काम कर लिया है। इस विभाग के लिए भी फूलप्रूफ सॉफ्टवेयर बनाने में सरकार को कई साल की मेहनत करनी पड़ी थी और अब देशभर में राजस्व के इस हिस्से की चौकीदारी एक अहम सॉफ्टवेयर के जरिए की जा रही है।

इस सॉफ्टवेयर के जरिए वित्त मंत्रालय की कोशिश टैक्स चोरी करने वालों को पकड़ने, टैक्स अदा करने वालों की संख्या में इजाफा कराने और टैक्स रिटर्न दाखिल न करने वालों की टैक्स जिम्मेदारी का आंकलन करना है। सॉफ्टवेयर के जरिए सामने आने वाले आंकड़े की टैक्स अधिकारी से जांच के बाद विभाग के टैक्स डेटाबेस में जोड़ने का काम किया जाएगा।

वहीं इसकी मदद से पूरे देश के लिए इनकम टैक्स का इंटीग्रेटेड मैनेजमेंट सिस्टम तैयार किया जाएगा। खास बात है कि यह सॉफ्टवेयर किसी भी व्यक्ति के आमदनी और खर्च का पूरा ब्यौरा इंटरनेट और पेमेंट नेटवर्क के जरिए खंगालने में सक्षम है।

इनकम टैक्स ट्रैकर इंसटॉल कर भारत भी दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा जो टैक्स चोरी पर 100 फीसदी तक लगाम लगाने में सक्षम हैं. भारत से पहले बेल्जियम, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ऐसे सॉफ्टवेयर की मदद से अपने-अपने देश में 100 फीसदी टैक्स अदा करने की व्यवस्था को सफलतापूर्वक तैयार कर चुके हैं।

वित्त मंत्रालय के एक अनुमान के मुताबिक इंग्लैंड ने टैक्स ट्रैकर सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल 2010 में शुरू किया और इसके चलते उसने मौजूदा समय तक लगभग 4 बिलियन पाउंड की टैक्स चोरी को पूरी तरह से खत्म करने में सफलता पाई है। जानकारों का दावा है कि यदि टैक्स ट्रैकर सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल नहीं किया जाता तो इसमें से अधिकांश टैक्स चोरी की जानकारी राजस्व विभाग को नहीं मिलती।