ईरान और अमेरिका में तनातनी के बीच भारत को एक बड़ी कूटनीतिक सफलता मिली है। भारत ने ईरान से कच्चे तेल के आयात के बदले में भुगतान रुपये में करने का करार किया है। सूत्रों के अनुसार, ईरान पर अमेरिका के प्रतिबंधों के 5 नवंबर से लागू होने के बावजूद भारत ने इस्लामिक राष्ट्र के साथ समझौते (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। अमेरिका ने भारत और 7 अन्य देशों को ईरान से तेल आयात पर प्रतिबंधों को लेकर कुछ समय की मोहलत दी है। 

सूत्रों ने बताया कि भारतीय रिफाइनरी कंपनियां, नेशनल ईरानियन आयल कंपनी (एनआईओसी) के यूको बैंक खाते में रुपये में भुगतान करेंगी। सूत्रों ने कहा कि इसमें से आधी राशि ईरान को भारत द्वारा किए गए वस्तुओं के निर्यात के भुगतान के निपटान को रखी जाएगी। अमेरिकी प्रतिबंधों के तहत भारत द्वारा ईरान को खाद्यान्न, दवाओं और चिकित्सा उपकरणों का निर्यात किया जा सकता है। भारत को अमेरिका से यह छूट आयात घटाने तथा एस्क्रो भुगतान के बाद मिली है। इस 180 दिन की छूट के दौरान भारत प्रतिदिन ईरान से अधिकतम तीन लाख बैरल कच्चे तेल का आयात कर सकेगा। इस साल भारत का ईरान से कच्चे तेल का औसत आयात 5,60,000 बैरल प्रतिदिन रहा है। 

सूत्रों ने कहा कि भारत, ईरान के तेल का चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा खरीदार है। अब ईरान से भारत मासिक आधार पर 12.5 लाख टन या डेढ़ करोड़ टन सालाना या तीन लाख बैरल प्रतिदिन की कच्चे तेल की ही खरीद कर सकता है। वित्त वर्ष 2017-18 में भारत ने ईरान से 2.26 करोड़ टन या 4,52,000 बैरल प्रतिदिन की तेल की खरीद की थी।

भारत की दो रिफाइनरियां इंडियन ऑइल कॉर्पोरेशन  और मंगलौर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड  ने ईरान से नवंबर और दिसंबर में 12.5 लाख टन तेल खरीदा है। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता है, जो अपनी जरूरतों का 80 फीसदी तेल आयात से पूरा करता है। वहीं, इराक और सऊदी अरब के बाद ईरान तीसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता देश है और कुल जरूरतों का वह 10 फीसदी योगदान करता है। 

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने मई में 2015 के ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते से देश को अलग कर दिया था। इसके साथ उन्होंने फारस की खाड़ी में स्थित देश पर दोबारा प्रतिबंध लगा दिए। कुछ प्रतिबंध 6 अगस्त से प्रभावी हो गए थे जबकि तेल और बैंकिंग सेक्टरों पर यह 5 नवंबर से लागू हुए।