भले ही करतारपुर गलियारे को लेकर पाकिस्तान की पहल पर भारत सरकार ने नरम रुख दिखाया है लेकिन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने फिर साफ कर दिया है कि आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकती। सार्क सम्मेलन के लिए पाकिस्तान द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को न्यौता देने की खबरों के बीच सुषमा ने कहा कि आतंक रोकने तक बातचीत नहीं हो सकती। पीएम नरेंद्र मोदी सार्क सम्मेलन में हिस्सा लेने पाकिस्तान नहीं जाएंगे।

मंगलवार को पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने सार्क सम्मेलन के लिए भारत को न्यौता देने की बात कही थी। जब से पाकिस्तान के पास सार्क अध्यक्ष का पद गया है, इस संगठन की कोई बैठक नहीं हो पाई है। सुषमा ने कहा, 'सार्क सम्मेलन के लिए तिथि सभी सदस्यों की सहमति के आधार पर तय की जाती है। यह एक सामान्य परंपरा है। तारीख तय होने के बाद ही सदस्य राष्ट्रों को औपचारिक निमंत्रण भेजा जाता है।' 

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि करतारपुर गलियारा पहल का पाकिस्तान के साथ बातचीत से कोई लेना-देना नहीं है और पाकिस्तान जब भारत में आतंकवादी गतिविधियां बंद कर देगा तभी उससे बातचीत शुरू होगी। भारत इस गलियारे की लंबे समय से मांग करता रहा है, जिससे भारतीय सिख श्रद्धालु बिना वीजा के करतारपुर में गुरुद्वारा दरबार साहिब तक आ जा सकें। स्वराज ने कहा कि उन्हें इस बात की खुशी है कि पाकिस्तान ने पहली बार सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है।

उन्होंने कहा, ‘लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि इस कदम भर से द्विपक्षीय वार्ता शुरू हो जाएगी। आतंक और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकती।’विदेश मंत्री तेलंगाना में सात दिसंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले प्रचार के लिए यहां हैं और वह मीडिया से बात कर रहीं थीं।

उन्होंने कहा, ‘जिस क्षण पाकिस्तान भारत में आतंकवादी गतिविधियां बद कर देगा, बातचीत शुरू हो सकती है लेकिन बातचीत केवल करतारपुर गलियारे से जुड़ी नहीं है।’ इस गलियारे के छह माह के भीतर पूरा होने की उम्मीद है। (इनपुट भाषा से भी)