लखनऊ। उत्तर प्रदेश के रामपुर से समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खान लोकसभा चुनाव जीते हैं। आजम खान एसपी के उन नेताओं में शामिल हैं, जिन्होंने लोकसभा चुनाव में पार्टी की लाज को बचा कर रखा। अब आजम खान सांसद के पद से इस्तीफा देना चाहते हैं।

आजम को डर है कि विधायक के पद से इस्तीफा देने के बाद उनकी सीट पर होने वाले उपचुनाव में पार्टी हार सकती है। अगर ऐसा हुआ तो रामपुर में पार्टी फिर कभी खड़ी नहीं हो पाएगी। वहीं वह विधायक रहते हुए प्रदेश में योगी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलना चाहते हैं। जो सांसद के तौर पर संभव नहीं है।

बीजेपी प्रत्याशी जयाप्रदा को रामपुर से लोकसभा चुनाव हराने वाले एसपी नेता आजम खान सांसदी से इस्तीफा देने की तैयारी  में हैं। जाहिर है आजम का ये फैसला पार्टी के लिए चौंकाने वाला है। क्योंकि लोकसभा चुनाव में एसपी को महज पांच सीटों पर ही जीत मिली है। जबकि उनसे 37 सीटों पर चुनाव लड़ा था और बीएसपी और आरएलडी के साथ चुनावी गठबंधन किया था। ये एसपी के राजनैतिक कैरियर में पार्टी की सबसे बड़ी हार मानी जा रही है।

एक दिन पहले ही रामपुर जिला प्रशासन ने आजम खान पर सरकारी जमीन पर कब्जा करने का मुकद्मा दर्ज कराया है। जिसके बाद आजम खान की मुश्किलें बढ़ गयी हैं। आजम खान पर रामपुर में कई मुकद्मे दर्ज हैं। इसमें से ज्यादा मुकदमें सरकारी जमीन और संपत्तियों से जुड़े हुए हैं। गौरतलब है कि पूर्व की समाजवादी पार्टी सरकार में रामपुर में आजम खान की तूती बोलती थी।

असल में आजम खान को लगता है कि अगर उन्होंने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया तो पार्टी में उनका कोई दूसरा विकल्प बन सकता है। खास तौर से पार्टी की मुस्लिम राजनीति में उन्हें राजनैतिक नुकसान होगा। हालांकि विधानसभा में समाजवादी पार्टी के 47 विधायक हैं। जिसके कारण एसपी की आवाज विधानसभा में सुनी जाती है। वहीं अगर देखें तो लोकसभा संख्याबल कम होने के कारण उनको कम तवज्जो मिलेगी।

आजम खान के इस्तीफे को लेकर एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव भी परेशान हैं। अखिलेश यादव ने इस मामले में आजम खान से बातचीत की है और फिलहाल उनसे इस मामले में फिर से विचार विमर्श करने की गुजारिश की है। हालांकि आजम खान का कहना है कि विकास की दृष्टि से रामपुर में काफी पिछड़ापन है। लिहाजा विधायक होने के नाते वह यहां पर ज्यादा समय दे सकते हैं।

यही नहीं अगर खाली होने वाली उनकी विधायक की सीट पर उपचुनाव में पार्टी को हार मिली तो तीन साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी के लिए बड़ी मुश्किलें पैदा हो जाएंगी। विधायक रहने पर वह विधानसभा में राज्य सरकार को कठघरे में आसानी से खड़ा कर सकते हैं। जबकि लोकसभा में सरकार को घेरना आसान नहीं है। उन्होंने योगी सरकार पर भी बदले की भावना से कार्यवाही करने का आरोप लगाया।