2016 में दर्ज देशद्रोह के मामले में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य सहित 10 लोगों के खिलाफ दाखिल आरोप पत्र पर पटियाला हाउस कोर्ट छह फरवरी को सुनवाई करेगा। 

इससे पहले, कोर्ट स्पेशल सेल को फटकार लगाते हुए पूछा कि आपने दिल्ली सरकार से अनुमति लिए बिना आरोप पत्र कैसे दाखिल कर दिए। क्या आपके यहां लीगल डिपार्टमेंट नही हैं?  इस पर जांच अधिकारी ने कहा कि 10 दिन का समय दे दीजिए, तब तक दिल्ली सरकार से मंजूरी मिल जाएगी। इसके बाद कोर्ट ने 6 फरवरी तक का समय दे दिया है। 

जांच दल ने 7 कश्मीरी छात्रों आकिब हुसैन, मुजीब हुसैन, मुनीब हुसैन, उमर गुल, रईया रसूल, बशीर भट, बशरत के खिलाफ भी आरोप पत्र दाखिल किए हैं। वहीं आरोप पत्र की कॉलम संख्या 12 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता डी राजा की बेटी अपराजिता, जेएनयूएसयू की तत्कालीन उपाध्यक्ष शहला राशिद, राम नागा, आशुतोष कुमार और बनोज्योत्सना लाहिरी सहित कम से कम 36 अन्य लोगों के नाम है, क्योंकि इन लोगों के खिलाफ फिलहाल सबूत नहीं है। आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए (राजद्रोह), धारा 323 (किसी को चोट पहुचाना), धारा 465 (जालसाजी के लिए सजा), धारा 471(फर्जी दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक रिकार्ड को वास्तविक तौर पर इस्तेमाल करना), धारा 143 (गैरकानूनी तरीके से एकत्र समूह का सदस्य होने के लिए सजा), धारा 149 (गैरकानूनी तरीके से एकत्र सदस्य होना), धारा 147 (दंगा फैलाने के लिए सजा) और 120 बी (आपराधिक षडयंत्र) के तहत आरोप लगाए गए हैं। 

पुलिस ने जेएनयू परिसर में नौ फरवरी 2016 को आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कथित तौर पर भारत विरोधी नारे लगाने के मामले में आरोपपत्र  दाखिल किया है। यह कार्यक्रम संसद हमला मामले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु को फांसी की बरसी पर आयोजित किया गया था। आरोपपत्र में सीसीटीवी फुटेज, मोबाइल फोन के फुटेज और दस्तावेजी प्रमाण भी है। पुलिस का आरोप है कि कन्हैया कुमार ने भीड़ को भारत विरोधी नारे लगाने के लिए उकसाया था। 

भाजपा के सांसद महेश गिरी और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की शिकायत पर वसंत कुंज पुलिस थाने में 11 फरवरी 2016 को अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए तथा 120बी के तहत एक मामला दर्ज किया गया था। एबीवीपी ने कथित आयोजन को राष्ट्र विरोधी बताते हुए शिकायत की थी जिसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसकी अनुमति रद्द कर दी थी। इसके बावजूद यह आयोजन हुआ था।