दिल्लीहाई कोर्ट ने आम आदमी पार्टी की पायलट परियोजना की जांच करने के बाद कहा कि किसी को भी पक्षपातपूर्ण भावना के साथ उपचार प्रदान करना सही नहीं है। मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायमूर्ति वीके राव की एक खंडपीठ
ने कहा कि आम आदमी पार्टी द्वारा दिया गया प्रस्ताव संविधान के तहत समानता और जीवन के अधिकार का उल्लंघन करता है।

एक गैर सरकारी संगठन ने आम आदमी पार्टी के प्रस्ताव को चुनौती देने वाली याचिका दायर की थी। इससे पहले, खंडपीठ ने कहा कि वे आम आदमी पार्टी सरकार की बुनियादी ढांचे, कर्मचारियों और सुविधाओं से संबंधित कठिनाइयों पर
ध्यान देगें। वे उस पर विचार भी करेगें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह आम आदमी पार्टी के प्रस्ताव को धारा 14 और 21 के तहत प्रस्ताव को वैध मान्य कर सकते हैं, लेकिन ये सामनता के अधिकार के खिलाफ है।

इन सब के बीच दिल्ली सरकार के वरिष्ठ स्थायी वकील राहुल मेहरा ने अदालत मे कहा था कि किसी को भी इलाज देने से इंकार नहीं किया जा रहा था। मरीज की जांच और ओपीडी की सुविधाओं को लेकर अस्पताल केवल प्राथमिकता दे रहा था
कि किसे पहले इलाज देना है। उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा संचालित अस्पतालों को इस तरह के प्रस्तावों की जरूरत इसलिए पड़ रही है, क्योंकि उनके पास केंद्र सरकार जितने फंड नही हैं।


राहुल मेहरा ने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा इस तरह की मांग का कारण मरीजों के भारी प्रवाह के कारण बुनियादी ढांचे और कर्मचारियों पर पड़ रहा दबाव है। इन सब बातों को लेकर सोमवार को बेंच ने कहा कि,"इसके लिए कौन जिम्मेदार है? अदालतें या  प्रबंधन की कमी? बेंच ने यह भी कहा कि अगर आप प्रबंधन नहीं कर सकते हैं तो सुविधाओं को रोक दें।" 

आम आदमी पार्टी पर हमला बोलते हुए भाजपा प्रवक्ता तेजिंदर पाल बग्गा ने कहा कि हाई कोर्ट का कदम आप सरकार के लिए निराशा जनक है।