बताया जा रहा है कि पिनरई विजयन सरकार एक नए मामले में पूर्व राज्य पुलिस प्रमुख टीपी सेनकुमार को घेरने की तैयारी में है, जबकि इसी बीच उनकी केरल राज्यपाल के पद पर नियुक्ति की ख़बरे भी सामने आ रही हैं। हालांकि, सेनकुमार ने ऐसी रिपोर्टों का साफ खंडन किया है।
उन्होंने मीडिया को बताया है कि "मुझे नहीं पता कि मैं गवर्नर बनाया जाऊंगा या कुछ और। मैं भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मिल कर उनसे अनुरोध करने गया था कि सबरीमाला और देवासम बोर्ड समेत सभी मंदिरों के लिए कोई कानून बनाया जाये।"
राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय में सेनकुमार के खिलाफ़ याचिका दायर की है जिसमें बताया गया है कि सेनकुमार उन पुलिस अधिकारियों की टीम में से एक थे जिन्होंने इसरो जासूसी मामले में नंबी नारायणन को प्रताड़ित किया था। सरकार ने उच्च न्यायालय में सेनकुमार द्वारा दायर याचिका के जवाब में हलफनामा दायर कर दिया है, जिसमें कहा गया था कि सरकार जानबूझकर प्रशासनिक ट्रिब्यूनल में उनकी नियुक्ति पर देरी कर रही है।

हालांकि जांच शुरू होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप किया जिसके बाद इसे रोक दिया गया था। सरकार ने अब इस मामले में यह मुद्दा उठाया है कि वह सेनकुमार ही थे जिन्होंने अदालत को गुमराह किया और नंबी नारायणन के खिलाफ जांच को और आगे बढाने की अनुमति मांगी थी।
सेनकुमार ने कहा है, नारायण के खिलाफ़ जारी सरकारी आदेश के आधार पर उन्होंने सीबीआई द्वारा की गई जांच की पुन: जांच की है। "वाम सरकार के आदेश को स्वीकार करने में आखिर क्या गलती बात है? मैंने एक अधिकारी के रूप में सरकारी आदेश स्वीकार किया था। मीडिया को दिए गये बयान में उन्होंने कहा, "मुझे इस फर्जी मामले का भी पिछले फर्जी मामलों की तरह ही सामना करना पड़ेगा।"

इससे पहले, सेनकुमार ने उन्हें राज्य पुलिस प्रमुख पद से हटाने के लिए एलडीएफ सरकार के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ी थी। विभिन्न अदालतों ने भी उनके खिलाफ शुरू किए गए मामलों की एक श्रृंखला को ख़ारिज कर दिया। आरोप यह भी लगाये गये थे कि केरल प्रशासनिक ट्रिब्यूनल सदस्य के रूप में उनकी नियुक्त होने की संभावनाओं को खत्म करने के लिए सरकार द्वारा उनके खिलाफ एक नये स्तर पर जांच की जा सकती है। मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने तब आरोप लगाया था कि इस अधिकारी के विपक्षी दलों के साथ संबंध थे।