नई दिल्ली। दो राज्यों के विधानसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही कर्नाटक की 15 सीटों पर भीब उपचुनाव की घोषणा हो गई है। हालांकि  इस घोषणा के साथ ही जनता दल(सेक्यूलर) के नेता एचडी कुमारस्वामी ने भाजपा को अच्छी खबर दी है। कुमारस्वामी ने कहा कि राज्य में जेडीएस अकेले चुनाव लड़ेगी। कुछ दिन पहले जेडीएस के प्रमुख एचडी देवगौड़ा ने कांग्रेस के साथ चुनावी करार तोड़ दिया था। लिहाजा जेडीएस के इस फैसले से भाजपा गदगद है। फिलहाल उपचुनाव में भाजपा को सरकार बचाने के लिए कम से कम 8 सीटें जरूरी होंगी।

चुनाव आयोग ने शनिवार को कर्नाटक विधानसभा में 15 सीटों पर होने  वाले उपचुनाव की घोषणा की। लेकिन जेडीएस ने उपचुनाव में अकेले लड़ने का फैसला किया है। जबकि कुछ समय पहले तक कांग्रेस का जेडीएस के साथ चुनावी गठबंधन था। पिछले सरकार में कांग्रेस और जेडीएस के 17 विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष ने अयोग्य किया था और जिसमें दो विधायकों के चुनाव लड़ने पर रोक लगाई थी। उपचुनाव की घोषणा राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी संजीव कुमार ने की।  

राज्य की 15 सीटों पर  21 अक्टूबर को मतदान होंगे और 24 अक्टूबर को वोटों की गिनती होगी। जेडीएस के अकेले चुनाव लड़ने के फैसले से भाजपा काफी खुश है। क्योंकि जाहिर तौर पर जेडीएस और कांग्रेस का वोट बैंक एकजुट नहीं हो सकेगा और इसका लाभ भाजपा को मिलेगा। हालांकि  भाजपा  ने इन सीटों के लिए तैयारी पहले से की है। क्योंकि अगर भाजपा राज्य में ज्यादा सीटें जीती तो सरकार और ज्यादा मजबूत होगी। वहीं जेडीएस द्वारा गठबंधन तोड़े जाने के बाद नुकसान कांग्रेस को होना तय है। क्योंकि कांग्रेस भाजपा को सत्ता से बेदखल करना चाहती है। लेकिन सहयोगी न होने के कारण वह भाजपा को चुनौती नहीं दे सकती है।

गौरतलब है कि विधानसभा में भाजपा के एक निर्दलीय समेत 105 का समर्थन है। राज्य में 17 विधायकों को अयोग्य करार दिए जाने के बाद  विधानसभा में कुल विधायकों की संख्या 208 हो गई थी। जिसमें कांग्रेस के पास 66 विधायक और जेडीएस के 34 विधायक हैं। वहीं एक विधायक बसपा और एक नामित सदस्य है। 15 सीटों में चुनाव होने के  बाद वास्तविक संख्या 225 के आधार पर भाजपा को सरकार बनाने के लिए 113 विधायकों की जरूरत होगी। ऐसे में भाजपा को इन 15 सीटों में से कम से कम 8 सीटों पर जीत दर्ज करनी होगी।