भले ही कांग्रेस सीबीआई विवाद का राजनीतिक फायदा उठाकर नरेन्द्र मोदी सरकार पर हमलावर हो रही है। लेकिन जब इस पूरे विवाद की जड़ यानी मोइन कुरैशी का जिक्र सामने आएगा, तो कांग्रेस के लिए जवाब देना मुश्किल हो जाएगा। क्योंकि कुरैशी ही वह शख्स है, जो सीबीआई के चार वरिष्ठ अधिकारियों ए.पी.सिंह, रंजीत सिन्हा, आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना पर आई मुसीबत का जिम्मेदार है।

मोइन कुरैशी की साल 2013 की ब्लैकबेरी मैसेंजर चैट, जिसने पूर्व प्रमुख ए.पी.सिंह को मुसीबत में डाल दिया था, उसमें ‘के नाथ’ ‘एपी’ और ‘शिंदे’ का भी जिक्र है। 
यह नाम किसके हैं, इसका अनुमान कोई भी लगा सकता है। 

माय नेशन नें जब उपरोक्त नामों से मिलते जुलते नेताओं से संपर्क करने की कोशिश की, तो उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया।

इस बातचीत में मोइन कुरैशी ने ए.पी.सिंह से मदद मांगी थी, वह दिल्ली एयरपोर्ट पर अपनी कंपनी ‘डीनाटा’ के लिए बैगेज हैंडलिंग फैसिलिटी हासिल करना चाहता था। कुरैशी दुबई की एयरपोर्ट लॉजिस्टिक कंपनी ‘डीनाटा’ का दिल्ली में प्रतिनिधित्व कर रहा था। 

बीजेपी ने इस मामले में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को निशाने पर लिया है। बीजेपी प्रवक्ता शाजिया इल्मी ने माय नेशन से बातचीत मे कहा- आखिर क्यों राहुल गांधी मोइन कुरैशी और एयरसेल मैक्सिस मामले को नजरअंदाज कर रहे हैं?

आखिर वह कौन सा बंधन है, जिसने सुब्रमण्यम स्वामी, प्रशांत भूषण, अरुण शौरी, पी.चिदंबरम वगैरह को एक साथ लाकर खड़ा कर दिया है। राहुल गांधी को जवाब देना होगा कि कैसे वह इस गुट में शामिल हुए? आखिर ऐसा क्या हुआ कि  प्रवर्तन निदेशालय और केन्द्रीय जांच ब्यूरो जैसे दो अलग अलग संस्थानों को बचाने के लिए लोगों ने मुहिम छेड़ दी है?

सीबीआई ने 2016 में ईडी की शिकायत पर कुरैशी, सिंह, कुरैशी के खासमखास आदित्य शर्मा, उद्योगपति प्रदीप कोनेरु और एक अन्य ‘अज्ञात शख्स/ सरकारी अधिकारी’ के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज की। इसके लिए ब्लैकबेरी मैसेज चैट को सबूत के तौर पर पेश किया गया था।  

डीनाटा कंपनी को अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री रहते हुए एनडीए-1 के शासनकाल में प्रतिबंधित कर दिया गया था। क्योंकि आईबी ने रिपोर्ट दी थी कि डीनाटा का संबंध पाकिस्तान से है। लेकिन चैट में कुरैशी ने ए.पी.सिंह के जरिए कांग्रेस नेताओं के पास पहुंचने की कोशिश की, ताकि वह तत्कालीन आईबी प्रमुख आसिफ इब्राहिम को प्रभावित करके डीनाटा को क्लीन चिट दिला सके।  

24 सितंबर की एक चैट में ब्लैकबेरी मैसेन्जर में किसी ‘के’ का जिक्र है। यह चैट उद्योगपति प्रदीक कोनेरु और कुरैशी के बीच हो रही थी। इसका भी जिक्र सीबीआई की एफआईआर में है। 

कुरैशी ने सिंह को एक मैसेज भेजा, "सर कृपया उस मुद्दे को देखें जिसके बारे में कल मैने आपसे बात की थी। मुझे इसकी मंजूरी के लिए डीआईएल (DIAL) से भी कॉल आई थी। यथाशीघ्र। धन्यवाद।"

(डीआईएल (DIAL) का अर्थ है दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड)


सिंह ने जवाब दिया: "सर, मैं असिफ को इतनी अच्छी तरह नहीं जानता कि उससे सीधे तौर पर अनुरोध कर पाऊं, लेकिन मैं ऐसे लोगों को जानता हूं जो उसको अच्छी तरह जानते हैं। लेकिन उनको पूरी समस्या के बारे में विस्तार से बताना पड़ेगा। मैं गुरुवार को मीटिंग तय करता हूं’। 

कुरैशी ने जवाब दिया- ‘हमें इस मामले में बहुत सावधानी बरतनी होगी। क्योंकि आसिफ के दफ्तर ने डीनाटा के खिलाफ अधिसूचना जारी की है और इस कारगुजारी में उसके दिल्ली स्थित कुछ पुराने सहयोगी शामिल हैं। मुझे लगता है आसिफ जेद्दाह में है। जब वह लौटे तब हम उनसे मुलाकात कर सकते हैं। मैं भी अपनी यात्रा को पूर्ववत कर रहा हूं। आप अब अपना काम पूरा कर लें। हमें इंतजार करके यह देखना होगा कि इस मामले को हम कैसे हैंडल करते हैं। इस बीच हमें देखना होगा कि वह किसकी सुनता है। शायद ‘एपी’ या फिर ‘के नाथ’ या फिर कोई और। उसका कोई पुराना दोस्त भी हो सकता है, जो उसे अच्छी तरह जानता हो। सम्मान के साथ’

इसके बाद सिंह ने कुरैशी को सलाह दी कि उसे ‘शिंदे’ के जरिए आगे बढ़ना चाहिए। ‘ठीक है मुझे पता लगाने दीजिए कि वह कब लौट रहा है। आपको शायद शिंदे के जरिए आगे बढ़ना चाहिए’ सिंह ने अपने संदेश में लिखा। 

आईबी के द्वारा डीनाटा पर रोक लगाने के बाद कुरैशी ने एक दूसरी कंपनी बनाई, जिसका नाम था इंडियन प्रीमियर सर्विसेज प्राईवेट लिमिटेड जिसमें 2013 में डीनाटा ने पचास फीसदी शेयर हासिल करके बाजार में प्रवेश कर लिया।