जम्मू-कश्मीर के प्रमुख दल नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) और पीडीपी के बॉयकॉट के बावजूद राज्य में निकाय चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया गया है। श्रीनगर में चीफ इलेक्टोरल ऑफिसर शालीन काबरा ने कहा कि निकाय चुनाव चार चरण में होंगे।  4 चरणों के चुनाव 8, 10, 13 और 16 अक्टूबर को होंगे जबकि चुनाव की मतगणना 20 अक्टूबर को होगी ।

उन्होंने कहा कि पहले चरण के चुनाव के लिए नोटिफिकेशन 18 सितंबर को जारी होगा वहीं दूसरे तीसरे और चौथे चरण के चुनाव के लिए नोटिफिकेशन 20, 22 और 24 सिंतबर को जारी किया जाएगा। इस बार निकाय चुनाव के लिए इस बार 17 लाख लोग पंजीकृत हैं।

आखिर क्यों महत्वपूर्ण है निकाय और पंचायत चुनाव ?

जम्मू कश्मीर में केंद्र सरकार 13 वर्ष बाद निकाय चुनाव करवाना चाहती है। आखिरी बार यह चुनाव सन 2005 में हुए थे। वही पंचायत चुनाव की अवधि 2016 जून में ही खत्म हो गई थी लेकिन  जनवरी 2016 में पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की मृत्यु के बाद सत्ता संभालने वाले महबूबा मुफ्ती ने चुनाव करवाने में देर की।

जुलाई 2016 में हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी के खात्मे के बाद घाटी में हालात चुनाव करवाने के लिए माकूल नहीं रहे और 2017 भी इस हिंसा की भेंट चढ़ा। 2017 के अंत में आते-आते ऑपरेशन ऑलआउट से जम्मू कश्मीर पुलिस और सेना ने घाटी में एक बार फिर चुनाव करवाने की उम्मीदों को जन्म दिया। केंद्र सरकार 2018 में अप्रैल मार्च के महीने में निकाय और पंचायत चुनाव करवाना चाहती थी लेकिन महबूबा मुफ्ती ने एक बार फिर रोड़ा अटकाया। सूत्रों की मानें तो नए गवर्नर सत्यपाल मलिक केंद्र सरकार की जम्मू कश्मीर में जल्द निकाय और पंचायत चुनाव करवाने की बात का समर्थन करते हैं। 

प्रत्याशियों की सुरक्षा एक बड़ी चुनौती

कश्मीर घाटी में पंचायत और निकाय चुनाव के लिए उतरने वाले उम्मीदवारों की सुरक्षा केंद्र सरकार के लिए टेढ़ी खीर रहने वाला है। आतंकी संगठनों ने पहले ही यह चेतावनी जारी कर दी है कि अगर कोई भी पंचायत चुनाव में हिस्सा लेता है तो उसके बुरे परिणाम भुगतने होंगे।

 इन्हीं धमकियों को देखते हुए केंद्र सरकार ने सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स की 237 कंपनियां घाटी में तैनात कर दी हैं। बता दें कि जम्मू-कश्मीर में पंचायत चुनाव के लिए 40,000 से ज्यादा सीटें हैं, जिनमें तकरीबन एक लाख प्रत्याशियों जम्मू, कश्मीर और लद्दाख खित्ते से मैदान में उतरते हैं। जम्मू कश्मीर में 2500 मतदान केंद्र और 1145 वार्ड हैं जिनकी सुरक्षा की जिम्मेवारी जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ-साथ सीएपीएफ के जवानों पर होगी।

घाटी में मीडिया से बात करते हुए राम माधव ने कहा था कि आतंकी कश्मीरियों को उनके मौलिक अधिकारों से दूर रखना चाहते हैं और वह आने वाले पंचायत चुनाव को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं।