नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने जर्मनी की कार कंपनी वॉक्सवैगन को 18 जनवरी शाम 5 बजे तक 100 करोड़ रुपए जमा करने का निर्देश दिया है। साथ ही ट्रिब्यूनल ने कंपनी को एक हलफनामा देने के लिए भी कहा है। 

इससे पहले एनजीटी द्वारा गठित चार सदस्यीय कमेटी ने वॉक्सवैगन पर 171.34 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने की सिफारिश की थी। कमेटी पर यह जुर्माना अत्यधिक नाइट्रोजन ऑक्साइड के उत्सर्जन के चलते दिल्ली में वायु प्रदूषण को लेकर स्वास्थ्य को हुए नुकसान को लेकर लगाया गया है। 

विशेषज्ञ कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में अनुमान लगाया है कि वॉक्सवैगन की कारों ने राजधानी दिल्ली में 2016 में लगभग 48.68 टन एनओएक्स उत्सर्जन के चलते स्वास्थ्य को नुकसान हुआ और दिल्ली को जैसे महानगरों को आधार मानते हुए मूल्य के हिसाब से यह नुकसान करीब 171.34 करोड़ रुपये का है। इसका कारण देश मे पर्यावरण पर नाइट्रोजन ऑक्साइड के कुल प्रभाव के आकलन के तरीकों का अभाव होने है। इसलिए सिर्फ स्वास्थ्य नुकसान का आंकलन किया गया है। 

नाइट्रोजन ऑक्ससाइड वायु प्रदूषण कारक है और यह हृदय और फेफड़े की बीमारी का कारण है। 

ज्ञात हो कि एनजीटी ने जो चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया था उसमें एआरएआई (ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया) की निदेशक रश्मि उर्द्ध्वर्शी, सीएसआईआर- एनईईआरआई के प्रधान वैज्ञानिक डॉक्टर नितिन लाभसेटवार, भारी उद्योग मंत्रालय में निदेशक रमाकांत सिंह, और सीपीसीबी के सदस्य सचिव प्रशांत गरगवा है। 

सलोनी अलवाड़ी नाम की एक स्कूल टीचर सहित कुछ लोगों ने एनजीटी में याचिका दायर कर कहा था कि पर्यावरण के नुकसान को देखते हुए देश मे इस कंपनी की कार की बिक्री पर रोक लगाई जाए। 

कार निर्माता कंपनी ने एनजीटी के नोटिस का जवाब देते हुए कहा था कि वह 3.23 लाख वाहनों को भारतीय बाजार से वापस लेकर उनमें ऐसी डिवाइस लगाएगी जो कार्बन का उत्सर्जन कम कर देगी।