नई दिल्ली: नरेन्द्र दामोदर दास मोदी। यह नाम सिर्फ भारत में ही नहीं पूरी दुनिया में चर्चा का विषय है। पड़ोसी देश पाकिस्तान भला कैसे मोदी के जिक्र और मशहूरियत से दूर रह सकता है। पाकिस्तान के अखबारों में भारतीय प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में इमरान खान को निमंत्रण नहीं भेजना का मुद्दा छाया हुआ है। 

वहां के अखबारों में इस बात को लेकर रोज विश्लेषण चल रहा है। वहां का प्रमुख अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून अपने पीएम इमरान खान से सवाल पूछता है कि क्या उनके पास भारतीय पीएम मोदी के आक्रामक रवैये का सामना करने के लायक अनुभव और क्षमता मौजूद है। 

पाकिस्तानी टुडे नाम के अखबार ने इस बात पर हैरत जताई है कि भारत ने नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, श्रीलंका, म्यांमार, थाईलैंड, मॉरिशस और किर्गिस्तान जैसे देशों को तो न्यौता भेजा है। लेकिन पाकिस्तान को नहीं। 


  
द डॉन नाम का पाकिस्तानी अखबार ने अपने विदेश मंत्री शाह कुरैशी के हवाले से लिखा है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को भारत की तरफ से न्योता नहीं दिए जाने की वजह  भारत की घरेलू राजनीति ही वजह हो सकती है। उन्होंने बयान दिया कि  'भारत का पूरा चुनाव प्रचार पाकिस्तान पर केंद्रित था. ऐसे में शपथ ग्रहण समारोह में उनसे न्योते की उम्मीद नहीं की जा सकती। उनसे न्योते की उम्मीद करना बेवकूफी है।'

दरअसल पाकिस्तान में इमरान खान को निमंत्रण नहीं भेजा जाना एक अपमान की तरह देखा जा रहा है। वहां की प्रमुख विपक्षी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग की नेता मरियम नवाज ने अपने देश के पीएम इमरान खान पर कड़ा हमला बोलते हुए कहा है कि ‘मोदी और दुनिया के अन्य राष्ट्राध्यक्ष क्यों इमरान को सम्मान नहीं देते हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि आप किसी की मदद से लोगों का वोट चुरा कर सत्ता में आए हैं। आप किसी के इशारे पर चलते हैं।इमरान खान ... आपका दर्जा किसी कठपुतली से ज्यादा कुछ नहीं है।’

पाकिस्तानी अखबार द न्यूज में भी इमरान को न्यौता देने की खबर पर लंबा आलेख छपा। जिसमें इसे भारत का अपना फैसला करार दिया गया। 

द न्यूज ने ही पाकिस्तान में पहले यह खबर छापी थी कि पाकिस्तानी पीएम को भारत की ओर से निमंत्रण नहीं भेजा गया है। 

दरअसल पाकिस्तान में पीएम नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में नए भारत की आक्रामक नीति को लेकर डर और सम्मान दोनो बढ़ रहा है। जहां  पाकिस्तान के लोग सीमा के अंदर घुसकर आतंकियों पर किए गए हमलों की वजह से डरते भी हैं। वहीं वहां के लोग मोदी के नेतृत्व में भारत की प्रगति को देखकर हैरान भी होते हैं और अपने देश में भी इसी तरह के विकास का सपना देखते हैं। 

आजादी के बाद से पाकिस्तान हमेशा खुद की तुलना भारत से करता आया है। लेकिन अब उसे समझ में आ गया है कि विकास की दौड़ में वह भारत से पीछे छूट चुका है। 

इन हालातों में अपने प्रधानमंत्री इमरान खान  को निमंत्रण नहीं दिया जाने से पाकिस्तानियों के अहम को चोट पहुंची है।