लोकसभा चुनाव से पहले केन्द्र सरकार का अगर ये फार्मूला सफल रहा तो देशवासियों को सस्ती दरों पर पेट्रोल और डीजल मिल सकता है। इससे आम लोगों को राहत मिलेगी तो सरकार के खजाने में भी धन का इजाफा होगा। असल में केन्द्र की मोदी सरकार रिफाइनरी क्षमता को बढ़ाने पर काम कर रही है। अगर केन्द्र सरकार का ये फार्मूला सफल रहा तो देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी आएगी।

पिछले कुछ दिनों से लगातार पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार कमी आ रही है। जबकि अक्टूबर के महीने में पेट्रोल की कीमतें 84 रुपए प्रति लीटर के स्तर तक पहुंच गयी थी। इसके बाद विपक्षी दलों ने केन्द्र सरकार को कठघरे में खड़ा किया था और तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव में जनता ने अपनी नाराजगी भाजपा के प्रति दिखाई। लिहाजा मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा को सत्ता से हाथ धोना पड़ा था। लेकिन पिछले कुछ समय से पेट्रोल औरडीजल की कीमतों में कमी आ रही है। इस साल के पहले दिन यानी पहली जनवरी को  महानगरों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 17 पैसे तक की कटौती हुई थी।

राजधानी दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 68.65 रुपए डीजल की कीमत 62.66 रुपए थी। जबकि दो जनवरी को पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं आया। उधर पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि आने वाले दिनों में पेट्रोल और डीजल कीमतों में गिरावट देखने को मिलेगी। जिसका सीधा फायदा आम लोगों को मिलेगा। उन्होंने कहा कि सरकार रिफाइनरी की क्षमता बढ़ाने पर काम कर रही है। रिफाइनरी की क्षमता बढ़ने से ज्यादा मात्रा में क्रूड ऑयल को पेट्रोल और डीजल में बदल जा सकेगा। जिससे पेट्रोलियम कंपनियों का फायदा होगा और इससे पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में कमी आएगी। असल में भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमत पूरी तरह अंतरराष्ट्रीय बाजार पर निर्भर करती है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत डिमांड और सप्लाई के आधार पर तय होती है।

इसके साथ ही केन्द्र सरकार पेट्रोल में एथनॉल के मिश्रण को बढ़ाने पर विचार कर रही है। अभी तक पेट्रोल में 10 फीसदी एथनॉल का इस्तेमाल किया जाता है जबकि सरकार इसे बढ़ाकर 15 फीसदी करने पर विचार कर रही है। अगर ऐसा होता है तो पेट्रोल की कीमतों में 60 रुपए के आसपास आ सकती है। इससे पर्यावरण को भी फायदा मिलेगा।