लोकसभा चुनाव में प्रचंड जीत हासिल करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दूसरे कार्यकाल के लिए आज अपनी नई कैबिनेट के साथ शपथ लेंगे। हालांकि सबसे ज्यादा अटकलें इस बात को लेकर लग रही हैं कि कैबिनेट के चार सबसे अहम प्रभार गृह, वित्त, रक्षा और विदेश कौन संभालेगा।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 68 वर्षीय मोदी और उनके कैबिनेट सहयोगियों को राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में शाम 7 बजे शपथ दिलाएंगे। इस मौके पर बिम्सटेक के सदस्य देशों के नेता, विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी सहित शीर्ष विपक्षी नेता, उद्योग जगत के दिग्गज, प्रख्यात खिलाड़ी और फिल्मी सितारे मौजूद रहेंगे।

कैबिनेट के चयन पर चली लंबी बैठक

इस बीच, मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने लगातार दूसरे दिन बुधवार को एक लंबी बैठक की। ऐसा समझा जाता है कि इस बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने नए मंत्रिमंडल की व्यापक रूपरेखा तय की। उम्मीद की जा रही है कि नए मंत्रिमंडल में अधिकतर वरिष्ठ मंत्रियों को बरकरार रखने के अलावा कुछ नए चेहरों को भी शामिल किया जाएगा। हालांकि इसे लेकर अटकलें हैं कि शाह नई सरकार का हिस्सा हो सकते हैं और उन्हें एक प्रमुख प्रभार दिया जा सकता है। शाह को भाजपा की रणनीति बनाने का श्रेय दिया जाता है। हालांकि उन्हें केंद्र में मंत्री पद देने के संबंध में कोई स्पष्टता नहीं है। ऐसी भी अटकलें हैं कि शाह भाजपा अध्यक्ष बने रह सकते हैं क्योंकि कुछ प्रमुख राज्यों में विधानसभा चुनाव अगले एक वर्ष में होने हैं।

कैबिनेट में बने रहेंगे कद्दावर नेता 

भाजपा के कई नेताओं का मानना है कि पहले की कैबिनेट के अधिकतर प्रमुख सदस्यों को बरकरार रखा जा सकता है। वरिष्ठ सदस्यों जैसे राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, निर्मला सीतारमण, स्मृति ईरानी, रविशंकर प्रसाद, पीयूष गोयल, धर्मेंद्र प्रधान, नरेंद्र सिंह तोमर और प्रकाश जावड़ेकर के अपना स्थान बरकरार रखने की उम्मीद है। उत्तर प्रदेश के अमेठी में राहुल गांधी को हराने वाली ईरानी को एक प्रमुख प्रभार मिलने की उम्मीद है। शपथ ग्रहण से एक दिन पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मोदी को पत्र लिखकर कहा कि वह खराब सेहत के चलते नई सरकार में मंत्री पद के इच्छुक नहीं हैं। 

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बंगाल, ओडिशा, तेलंगाना और सहयोगियों पर ध्यान

ऐसे संकेत हैं कि नए मंत्रिमंडल में पश्चिम बंगाल, ओडिशा और तेलंगाना जैसे राज्यों में भाजपा की बढ़ती ताकत प्रतिबिंबित हो सकती है। जहां तक सहयोगी दलों का सवाल है तो शिवसेना और जेडीयू को दो-दो मंत्री पद मिलने की उम्मीद है, (एक कैबिनेट और एक राज्यमंत्री) जबकि एलजेपी और शिरोमणि अकाली दल को एक-एक मंत्री पद मिल सकते हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को शाह से मुलाकात की और समझा जाता है कि दोनों नेताओं ने सरकार में जेडीयू के प्रतिनिधित्व पर चर्चा की। एलजेपी ने मंगलवार को एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें उसके अध्यक्ष रामविलास पासवान को मोदी सरकार में उसके प्रतिनिधि के तौर पर शामिल करने की सिफारिश की गई। अन्नाद्रमुक जो कि पूर्ववर्ती सरकार का हिस्सा नहीं थी, उसने मात्र एक सीट जीती है। उसे एक मंत्रिपद दिया जा सकता है क्योंकि पार्टी तमिलनाडु में सत्ता में है और भाजपा की प्रमुख सहयोगी द्रविड़ पार्टी है।

आठ हजार लोग बनेंगे ऐतिहासिक पल के गवाह

राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में आयोजित होने वाले इस शपथ ग्रहण समारोह में करीब आठ हजार मेहमानों के शामिल होने की उम्मीद है। इसका इस्तेमाल आम तौर पर देश की यात्रा पर आने वाले राष्ट्राध्यक्षों एवं सरकार के प्रमुखों के औपचारिक स्वागत के लिए किया जाता है। मोदी को जब शाम करीब सात बजे शपथ दिलाई जाएगी तब यह दूसरी बार होगा जब वे राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में शपथ लेंगे। मोदी को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 2014 में दक्षेस देशों के प्रमुखों सहित 3500 से अधिक मेहमानों की मौजूदगी में शपथ दिलाई थी। इससे पहले 1990 में चंद्रशेखर और 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी को राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में शपथ दिलाई गई थी।

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शपथ ग्रहण समारोह में बिम्सटेक देशों बांग्लादेश के राष्ट्रपति अब्दुल हामिद, श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरीसेना, नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली, म्यांमार के राष्ट्रपति यू विन मिंट और भूटान के प्रधानमंत्री लोताय शेरिंग ने कार्यक्रम में शामिल होने की पुष्टि पहले ही कर दी है। थाईलैंड से उसके विशेष दूत जी बूनराच देश का प्रतिनिधित्व करेंगे। भारत के अलावा बिम्सटेक में बांग्लादेश, म्यांमार, श्रीलंका, थाईलैंड, नेपाल और भूटान शामिल हैं।

सरकार ने इन नेताओं के साथ-साथ शंघाई सहयोग संगठन के वर्तमान अध्यक्ष और किर्गीस्तान के वर्तमान राष्ट्रपति जीनबेकोव और मॉरिशस के प्रधानमंत्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ को भी शपथ ग्रहण के लिए आमंत्रित किया है। आमंत्रित किए गए विपक्षी नेताओं में तृणमूल कांग्रेस की नेता एवं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, जेडीएस के नेता एवं कर्नाटक के मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव, आप प्रमुख एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शामिल हैं। ममता ने हालांकि शुरू में कहा था कि वे कार्यक्रम में शामिल होंगी लेकिन बुधवार को घोषणा की कि वे भाजपा के इस आरोप पर कड़ी आपत्ति जताते हुए शामिल नहीं होंगी कि उसके 54 कार्यकर्ताओं की पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा में हत्या कर दी गई।