राज्य में कांग्रेस की नई सरकार बनने के साथ ही राज्य के सरकारी दस्तावेजों से पं. दीनदयाल उपाध्याय की तस्वीर हटाने का फैसला किया है। इसके साथ ही राज्य की पूर्व सरकार की योजनाओं से भी उनका नाम हटाए जाने का फैसला किया गया है। राजस्थान सरकार के इस फैसले के बाद राज्य में राजनीति शुरू हो गयी है। पूर्व की भाजपा सरकार ने इसे बदले की कार्यवाही बताया है।

असल में राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद ये बड़ा फैसला लिया गया है। राज्य में कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री की शपथ लेने वाले अशोक गहलोत ने सरकारी अफसरों को फरमान दे दिया है कि राज्य की सरकारी नीतियों से जनसंघ के पूर्व अध्यक्ष पं. दीनदयाल उपाध्याय की तस्वीर और नाम हटा दिया जाए। हालांकि ये पहले ही माना जा रहा था कि राज्य में कांग्रेस की सरकार आने के बाद इस तरह के फैसले जरूर लिए जाएंगे। लिहाजा नई सरकार ने पिछली भाजपा सरकार की ओर से सरकारी दस्तावेजों पर पं. दीनदयाल उपाध्याय का चित्र लगाने संबंधी आदेश पलट दिया है। 

राज्य की पिछली भाजपा सरकार ने पं. उपाध्याय की जन्म शताब्दी पर 11 दिसंबर 2017 को सरकारी दस्तावेजों पर अशोक चिह्न के साथ उपाध्याय का चित्र लगाने के आदेश दिए थे। सीएम गहलोत की अध्यक्षता में 29 दिसंबर को हुई कैबिनेट की बैठक में इसे हटाने फैसला हुआ था। अब मुद्रण लेखन व सामग्री विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव रवि शंकर श्रीवास्तव ने इसके आदेश जारी किए। राज्य सरकार के इस आदेश के बाद अब राज्य के समस्त राजकीय विभागों, निगमों, बोर्ड एवं स्वायत्तशासी संस्थाओं के लेटर पैड पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय की तस्वीर का लोगो के रूप में प्रयोग/मुद्रण करने के आदेश वापस ले लिया गया है। राज्य सरकार के इस फैसले के बाद राजनीति शुरू हो गयी है। भाजपा ने कांग्रेस सरकार पर बदले की कार्यवाही का आरोप लगाया है।संबंध में 11 दिसंबर, 2017 को जारी परिपत्र को वापस लिया जाता है.

जानें कौन थे दीनदयाल उपाध्‍याय
पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितंबर, 1916 को मथुरा में हुआ था और उन्होंने कानपुर में सनातन धर्म कॉलेज से बीए की शिक्षा ली दी और उसके बाद वह राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संपर्क में आए। फिर उनकी मुलाकात संघ के संस्‍थापक केबी हेडगेवार से हुई। फिर उन्होंने बौद्धिक विमर्श के बाद संघ से जुड़ने का फैसला किया। दीनदयाल उपाध्‍याय राजनीति-सामाजिक क्षेत्र में 'एकात्‍म मानवतावाद' का दार्शनिक विचार पेश करने वाले आरएसएस विचारक और भारतीय जनसंघ के सह-संस्‍थापक हैं।