लोकसभा चुनाव से पहले राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार महिला आरक्षण पर बड़ा दांव खेलने की तैयारी में है। महिला वोटरों को अपने पाले में लाने के लिए इस संबंध में विधानसभा में प्रस्ताव लाया जा सकता है। कांग्रेस महिलाओं को विधानसभा में 33 फीसदी आरक्षण के प्रस्ताव का खाका तैयार करने में जुटी है। मुख्यमंत्री आवास पर हुई कैबिनेट की अनौपचारिक बैठक में इस संबंध में नीतिगत फैसला लिया गया है। 

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मीडिया से बातचीत में कहा कि यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी लंबे समय तक इस मुद्दे को लेकर अपनी आवाज बुलंद की थी। प्रस्ताव लोकसभा में पास भी हुआ था। लेकिन राज्यसभा में अटक गया। अब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की मंशा है कि कांग्रेस शासित सभी राज्यों में इस प्रस्ताव को पारित किया जाए। पंजाब विधानसभा में यह कदम उठाया जा चुका है, अब राजस्थान में इसकी तैयारी हो गई है। जल्द ही हम इस प्रस्ताव को विधानसभा में पेश करेंगे।

वहीं, पीसीसी चीफ और डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने कहा है कि राहुल गांधी की मंशा के अनुरूप राजस्थान सरकार इस बिल को लेकर आएगी। सचिन ने कहा कि भाजपा 5 साल के शासन के दौरान इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठा सकी।  इससे साबित होता है कि महिलाओं के सशक्तिकरण को लेकर उसकी सोच क्या है? पायलट ने कहा कि इस कदम से न केवल महिलाओं को राजनीतिक तौर पर आगे बढ़ने का मौका मिलेगा, बल्कि सामाजिक तौर पर भी उनकी स्थिति और बेहतर और मजबूत हो सकेगी।

माना जा रहा है कि गरीब सवर्णों को आर्थिक आधार पर 10 फीसदी आरक्षण दिए जाने के मोदी सरकार के मास्टर स्ट्रोक के बाद कांग्रेस की यह रणनीति तुरूप का इक्का हो सकती है। अब भाजपा इसे लेकर क्या रणनीति अपनाती है इस पर आने वाले दिनों में स्थिति साफ हो पाएगी। सूत्र बताते हैं कि अगर विधानसभा में ऐसा कोई बिल आता है तो पार्टी के पास इसका समर्थन करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं होगा। वहीं , दूसरी तरफ कांग्रेस इस बिल के जरिये महिला वोटरों को अपने पाले में करने के साथ-साथ इसे लोकसभा चुनावों में एक मुद्दे के तौर पर भुनाने का प्रयास करेगी।