ऐसा लगता है पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कुछ ट्विटरबाजों की नोबेल शांति पुरस्कार की पैरवी को कुछ ज्यादा ही गंभीरता से ले लिया है। इन दिनों वह हर तरह के मामले में अपनी 'जबरन' राय देते नजर आ रहे हैं। हालांकि अफगानिस्तान को लेकर दिए एक बयान पर इमरान घिर गए हैं। हाल ही में अफगानिस्तान पर की गई उनकी टिप्पणी को लेकर अमेरिका ने भी उन्हें हिदायत दी है कि किसी देश के आतंरिक मामलों में दखल न दें। इमरान खान ने कहा था कि तालिबान के साथ वार्ता को अफगानिस्तान की अंतरिम सरकार ही आगे बढ़ा सकती है। 

इमरान खान के बयान पर अफगानिस्तान सरकार ने आपत्ति जताई थी। अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय ने काबुल स्थित पाकिस्तान उप-उच्चायुक्त को तलब भी किया था। राष्ट्रपति अशरफ गनी सरकार के विदेश मंत्री ने कहा था, 'अंतरिम सरकार की बातचीत और शांति प्रक्रिया को लेकर इमरान खान की टिप्पणी अवांछित है। यह इस बात का परिचायक है कि पाकिस्तान की किस तरह से दखल देने की नीति रही है और वह किसी भी देश की संप्रभुता को महत्व नहीं देता है।' 

अब इमरान खान की टिप्पणी पर अफगानिस्तान में अमेरिका के राजदूत ने जॉन आर बास ने कहा, इमरान खान को समझना चाहिए कि क्रिकेट के कुछ पहलू कूटनीति में लागू होते हैं और कुछ नहीं। इमरान खान को यह ध्यान रखना चाहिए कि अफगानिस्तान में जारी शांति प्रक्रिया और आंतरिक मामलों में 'बॉल टेंपरिंग' यानी छेड़छाड़ न करें। 

इस बीच, पाकिस्तान की अधिकारी शिरीन मजारी ने ट्वीट करते हुए अफगानिस्तान में अमेरिकी राजदूत को 'छोटा बौना' बताया। उन्होंने ट्वीट किया, 'छोटे बौने बॉल टैंपरिंग को लेकर तुम्हारा ज्ञान वैसा ही जैसी तुम्हारी अफगानिस्तान और इस क्षेत्र को लेकर समझ है।'