गुजरात में 2002-2006 में हुई पुलिस मुठभेड़ के मामले में सुप्रीम कोर्ट को सौंपी गई रिपोर्ट में गुजरात सरकार को क्लीन चिट मिल गई है. सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस एच एस बेदी की अगुवाई में बने एसटीएफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल 17 मौत के मामलों में से फर्जी मुठभेड़ और पुलिस हिरासत में मौत के तीन मामले सामने आए है. रिटायर्ड जस्टिस बेदी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए.

पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट से गुजरात सरकार के वकील के आग्रह पर याचिकाकर्ताओं को रिपोर्ट सौंपने से इनकार कर दिया था. मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने निगरानी कमिटी के अध्यक्ष जस्टिस एच एस बेदी की रिपोर्ट याचिकाकर्ता बीजी वर्गीज और जावेद अख्तर को सौपने को कहा था. जिस पर गुजरात सरकार की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने आपत्ति जाहिर करते हुए कहा था कि रिपोर्ट को गोपनीय रखा जाना चाहिए वरना, याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण इसे भी सार्वजनिक मसला बनायेगे. 

जिसके बाद कोर्ट ने रिपोर्ट को गुजरात सरकार और याचिकाकर्ताओं को चार हप्ते के भीतर अपना पक्ष रखने को कहा है. उसके बाद कोर्ट देखेगा कि याचिकाकर्ताओं को रिपोर्ट सौंपी जाए या नहीं. मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की पीठ ने यह आदेश दिया है. बता दें की कोर्ट इन मुठभेड़ों की स्वतंत्र एजेंसी या सीबीआई से जांच कराने की मांग को लेकर वरिष्ठ पत्रकार और गीतकार जावेद अख्तर ने 2007 में जनहित याचिका दायर की थी. जिसपर कोर्ट सुनवाई कर रहा है. 

हालांकि वर्गीज का 30 सिंतबर 2014 को मौत हो चुकी है. पिछली सुनवाई के दौरान वकील प्रशांत भूषण ने बताया था मुठभेड़ों की जांच कर रहे विशेष कार्य बल की निगरानी के लिए शीर्ष कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एच एस बेदी की अध्यक्षता में गठित समिति ने अपनी अंतिम रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री को सौप दिया था. जिसके बाद मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि अब दोनों याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की जाएगी. 

वही गुजरात सरकार की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि सरकार को निगरानी समिति की रेपोरी पर जवाब देने के लिए एक या दो हफ्ते का और समय चाहिए जिसके बाद कोरी ने दे दिया था. गौरतलब है कि कोर्ट ने सिंतबर 2016 को विशेष कार्यबल को गुजरात मे 2002 से 2006 के दौरान हुई कथित फर्जी मुठभेड़ की चल रही जांच तीन महीने में खत्म करने का निर्देश दिया था. यह कार्यबल न्यायमूर्ति बेदी की अध्यक्षता वाली समिति की निगरानी में काम कर रहा था. यह कार्यबल ने 22 मामलों की जांच को और मुठभेड़ के 24 में से दो मामलों की अभी जांच की जानी है. न्यायमूर्ति बेदी की अध्यक्षता में दो मार्च 2012 को राज्य सरकार ने निगरानी समिति गठित की थी.