समाजवादी पार्टी के बागी विधायक और पार्टी से अलग होकर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया का गठन करने वाले यूपी की दिग्गज नेता शिवपाल यादव ने दो दिन पहले बने सपा और बसपा के गठबंधन को ठगबंधन कहा है. उन्होंने कहा कि दोनों दलों ने यह गठबंधन पैसों के लिए किया है और पहले सपा मायावती पर पैसे के लेने-देने के लिए आरोप लगाती थी. लेकिन अब उसी के साथ गठबंधन कर लिया है और दोनों दलों के बीच यह ‘ठगबंधन’ है.

शिवपाल ने लखनऊ में कहा की ये मौकापरस्ती है. जिस बसपा के खिलाफ सपा ने चुनाव लड़े, अब वह एक हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि जिस मायावती पर सपा टिकट के लिए पैसे लेने का आरोप लगाती थी, वही अब सपा के साथ गठबंधन कर रही है. इसे गठबंधन की जगह ठगबंधन कहना सही होगा. शिवपाल ने कहा कि कांग्रेस भी एक सेक्युलर पार्टी है और अगर वह भारतीय जनता पार्टी को हराने के लिए हमसे संपर्क करती है तो हम उसका समर्थन करेंगे. शिवपाल ने कहा कि वर्ष 1993 में जब सपा-बसपा का गठबंधन हुआ था, उस वक्त दोनों ही पार्टियों पर कोई आरोप नहीं था और ना ही सीबीआई का कोई डर था.

हालांकि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी पर राज्य में गठबंधन के लिए डोरे डाल रही कांग्रेस को दोनों दलों ने कोई तवज्जो नहीं दी है. जिसके कारण अब कांग्रेस ने अकेले लड़ने का फैसला किया है, हालांकि कांग्रेस शिवपाल सिंह यादव की नई राजनैतिक पार्टी और छोटे दलों के साथ आगामी लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन की योजना बना रही है. असल में कांग्रेस ने शिवपाल को पिछले महीने दिल्ली में महागठबंधन के लिए विपक्षी दलों की बैठक में बुलाया था. इस बैठक में मायावती और अखिलेश यादव को भी बुलाया गया था. लेकिन दोनों नेता इस बैठक में नहीं आए. इसके बाद दो दिन पहले से माना जा रहा था कि कांग्रेस शिवपाल से राजनैतिक गठबंधन करेगी.

कुछ दिन पहले शिवपाल ने लखनऊ में एक बड़ी राजनैतिक रैली का आयोजन किया था और इसमें सपा संरक्षक मुलायम सिंह भी शामिल हुए थे. हालांकि कांग्रेस से साथ ही प्रसपा आगामी लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी पीस पार्टी और निषाद पार्टी में भी कुछ संभावनाएं तलाशी रही हैं. कांग्रेस इसके साथ ही भाजपा के साथ राज्य में सरकार में शामिल सुभासपा के साथ ही भी गठबंधन की संभावनाओं को तलाश रही है जबकि अपना दल के दूसरे गुट पर भी उसकी नजर है. ताकि छोटे छोटे दलों के साथ गठबंधन कर ज्यादा सीटें जीती जा सके.