मध्य प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की आभार यात्रा को लेकर भाजपा पसोपेश में है। हालांकि अभी तक भाजपा ने शिवराज की इस यात्रा पर अपनी सहमति नहीं दी है। लेकिन भाजपा और संघ पूरी तरह से शिवराज की इस यात्रा से दूरी बनाकर चल रहे हैं। असल में शिवराज का मकसद इस यात्रा के जरिए राज्य में लोकसभा चुनाव की कमान अपने हाथ में रखना है। 

बहरहाल शिवराज सिंह चौहान ने राज्य विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद  लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है। हालांकि केन्द्रीय नेतृत्व चाहता है कि शिवराज केन्द्रीय राजनीति में आए। ताकि राज्य की कमान किसी नए नेता को दी जा सके। लेकिन शिवराज राज्य में ही राजनीति करना चाहते हैं। लिहाजा प्रदेश में सरकार बनाने से विफल रहने के बाद शिवराज जनता के बीच जाना चाहते हैं। वह जनता के बीच जाकर राज्य में 15 साल भाजपा की सत्ता बनाने के लिए धन्यवाद देना चाहते हैं।

असल में शिवराज की राज्य की जनता में अच्छी पैठ है और वह अपने को आसानी से जनता से कनेक्ट कर लेते हैं। हालांकि अब आभार यात्रा निकालने के फैसले को लेकर राज्य भाजपा संगठन और संघ असमंजस में है। केंद्रीय नेतृत्व ने शिवराज को इस यात्रा के लिए अनुमति नहीं दी है। जल्द ही संगठन के बड़े नेता इस पर फैसला लेंगे। हालांकि अभी संघ और भाजपा के बड़े नेता शिवराज को प्रदेश अध्यक्ष के साथ ही राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता का पद देने के पक्ष में नहीं हैं। पार्टी उन्हें आम चुनाव में लड़ाना चाहती है, लेकिन शिवराज राज्य में ही रहकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराना चाहते हैं।

हालांकि पार्टी के बड़े नेता कहते है कि राज्य में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है और अगर वोट प्रतिशत को देखा जाए तो भाजपा को कांग्रेस की तुलना में ज्यादा वोट मिला है। पार्टी का एक धड़ा शिवराज को राज्य की राजनीति में सक्रिय रखने के पक्ष में है। क्योंकि शिवराज के कद का कोई बढ़ा नेता राज्य में नहीं है, जो जनता से सीधे जुड़ा हुआ हो। नेताओं का मानना है कि लोकसभा चुनाव में अगर भाजपा अच्छा प्रदर्शन करती है तो राज्य का राजनैतिक परिदृश्य बदल सकता है।