श्रीलंका में ईस्टर के अवसर पर हुए सिलसिलेवार धमाकों के बाद सोमवार रात से इमरजेंसी लग सकती है। राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना देशव्यापी आपातकाल की घोषणा करने वाले हैं। इस बीच, श्रीलंका सरकार का कहना है कि रविवार को हुए आठ बम धमाकों के पीछे 'अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का हाथ' होने की आशंका है। श्रीलंकाई सरकार ने पहली बार इन हमलों में जिम्मेदार संगठन का नाम लिया है। सरकार के प्रवक्ता राजीथा सेनारत्ने ने सीरियल ब्लास्ट के लिए स्थानीय इस्लामी चरमपंथी संगठन नैशनल तौहीद जमात (NTJ)को जिम्मेदार ठहराया है। इन हमलों में 290 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 500 लोग घायल हुए हैं। मारे गए लोगों में कई विदेशी नागरिक भी हैं। 

सेनारत्ने ने भी कहा कि विस्फोट में शामिल सभी आत्मघाती हमलावर श्रीलंकाई नागरिक मालूम हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय इंटेलिजेंस एजेंसी के प्रमुख ने 11 अप्रैल से पहले इन हमलों की आशंका को लेकर पुलिस महानिरीक्षक को आगाह किया था। सेनारत्ने ने कहा, चार अप्रैल को, अंतरराष्ट्रीय खुफिया एजेंसियों ने इन हमलों को लेकर आगाह किया था। आईजीपी को नौ अप्रैल को सूचित किया गया था।

उधर, श्रीलंका के विशेषज्ञों का कहना है कि सिलसिलेवार बम धमाकों को सात आत्मघाती हमलावरों ने अंजाम दिया था। ‘संडे टाइम्स’ ने सरकारी विश्लेषक विभाग के हवाले से कहा, ‘शांगरी ला, सिनामोन ग्रैंड, किंग्सबरी होटलों और सेंट एंथनी गिरजाघर, पश्चिमी तटीय शहर नेगोम्बो के सेंट सेबेस्टियन गिरजाघर और बट्टिकलोवा के जियोन गिरजाघर में किए गए विस्फोट आत्मघाती हमले थे।’

इन छह हमलों के कुछ घंटों बाद कोलंबो में एक और विस्फोट हुआ था। वहीं पुलिस दल के कोलंबो उत्तरी उपगर ओरुगोदावट्टा में एक घर पर छापे मारने पहुंचने पर एक आत्मघाती हमलावर ने खुद को उड़ा लिया था। इस आठवें धमाके में तीन पुलिस कर्मी भी मारे गए थे।

विभाग ने कहा, ‘कुल सात आत्मघाती हमलावरों ने इन हमलों को अंजाम दिया।’ हमलों की अभी तक किसी ने जिम्मेदारी नहीं ली है। पुलिस ने इस सिलसिले में 24 लोगों को गिरफ्तार भी किया है। इस बीच आई मीडिया खबरों के अनुसार एनटीजे (नेशनल तौहीद जमात) के अहम गिरजाघरों पर फिदायीन हमले करने की साजिश रचने की जानकारी मिली थी। एनटीजे श्रीलंका का कट्टरपंथी मुस्लिम संगठन है।