सुप्रीम कोर्ट ने डीजीपी की नियुक्ति के मामले में दायर उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें यूपीएससी के बजाय आंतरिक राज्य समिति के माध्यम से पुलिस महानिदेशक की नियुक्ति करने की अनुमति मांगी गई थी। 

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ ने कहा कि जो 2006 का सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला है वह आगे भी लागू रहेगा। 

जबकि पंजाब, पश्चिम बंगाल, केरल, बिहार, छत्तीसगढ़ और हरियाणा की ओर से कहा गया था कि यह राज्य का मामला है इसलिए डीजीपी के नियुक्ति करने का फैसला राज्य सरकार को करना चाहिये। लेकिन कोर्ट ने इससे इनकार कर दिया।
कोर्ट ने यह फैसला यूपीएससी के सचिव की दलील के बाद दिया है। कोर्ट ने एक दिन पहले ही संघ लोक सेवा आयोग के सचिव को पेश होकर यह बताने का निर्देश दिया था कि क्या आयोग ने राज्य सरकारों द्वारा पुलिस महानिदेशक के पद पर नियुक्ति के लिए वरिष्ठ आईपीएस ऑफिसर का पैनल बनाया है।

 मामले की सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण ने कहा था कि भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारियों की सूची संघ लोक सेवा आयोग ने नही बल्कि कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ने तैयार किया है। अर्जी में पुलिस महानिदेशक पद के लिए चयन और नियुक्ति के बारे में राज्यों ने अपने अपने कानून लागू करने की अनुमति मांगी थी।