भले ही देश के अधिकांश हिस्से में पारा गिर रहा हो लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार रहे संजय बारू की किताब पर बनी फिल्म 'द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर' ने सियासी पारा गरमा दिया है। ट्रेलर रिलीज होने के बाद कांग्रेस ने इस फिल्म को लेकर कड़ी आपत्ति जताई है, वहीं भाजपा ने कांग्रेस से पूछा है कि अब उसके 'अभिव्यक्ति की आजादी' के नारों का क्या हुआ?

महाराष्ट्र यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष सत्यजीत तांबे पाटिल ने तल्ख लहजे में फिल्म के निर्माताओं को लिखे पत्र में कहा है कि वह पहले इस फिल्म को देखेंगे। अगर उनकी मांग पूरी नहीं की गई तो इस फिल्म को देश में कहीं भी रिलीज नहीं होने दिया जाएगा। इसके लिए फिल्म के निर्माता ही जिम्मेदार होंगे। तांबे का कहना है कि इस फिल्म में तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है। यह पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी की छवि खराब करने का प्रयास है। 

कांग्रेस तब इस फिल्म का विरोध कर रही है जब उसके अध्यक्ष लगातार अभिव्यक्ति की आजादी की दुहाई देते रहते हैं। 

उधर, नई दिल्ली में कांग्रेस की स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से जब सवाल पूछा गया तो उन्होंने चुप्पी साध ली। 

दरअसल, इस फिल्म के ट्रेलर को भाजपा के ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया है। कांग्रेस इससे भन्ना गई है। पार्टी के वरिष्ठ नेता पीएल पुनिया ने कहा, 'द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर फिल्म का ट्रेलर भाजपा के ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया। यह भाजपा का खेल है। भाजपा जानती है कि पांच साल पूरे होने को हैं और उनके पास जनता को बताने के लिए कुछ भी नहीं है। आम लोगों का ध्यान हटाने के लिए वह इस तरह के हथकंडे अपना रहे हैं।' 

हालांकि केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने फिल्म के ऑफिशल ट्रेलर के विडियो को ट्वीट करने का बचाव किया है। उन्होंने कांग्रेस पर ही सवाल दागा, 'क्या हम किसी फिल्म को शुभकामनाएं भी नहीं दे सकते? कांग्रेस सबके लिए आजादी की बात करती है तो वह इस आजादी पर अब सवाल क्यों उठा रही है?'

इस फ‍िल्‍म में अनुपम खेर ने पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का किरदार निभाया है। अक्षय खन्ना संजय बारू की भूमिका में  हैं। पत्रकार संजय बारू 2004 से 2008 के बीच तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार थे। उधर, अभिनेता ने कांग्रेस द्वारा फिल्म का विरोध करने पर कई  सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा, अगर जलियांवाला बाग या होलोकास्ट पर फिल्म बनानी हो तो तथ्यों को बदला नहीं जा सकता।

उन्होंने फिल्म के बढ़ते विरोध पर कहा कि यह किताब 2014 में आई थी, तब तक किसी ने कुछ नहीं कहा। अब फिल्म का विरोध हो रहा है। जितना विरोध होगा उतनी ही फिल्म की पब्लिसिटी भी होगी।