राज्यसभा की छह सीटों के लिए चुनाव आयोग पांच जुलाई को चुनाव कराने जा रहा है। शनिवार को इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी गई है। हालांकि गुजरात में खाली हुई दो सीटों पर होने वाले चुनाव को लेकर पेंच फंस गया है। चुनाव आयोग ने दोनों सीटों के चुनाव के लिए अलग-अलग अधिसूचना जारी की है। इसका सीधा अर्थ यह हुआ कि दिन भले ही एक हो लेकिन चुनाव अलग-अलग होगा। 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस अधिसूचना पर कांग्रेस को ऐतराज है। पार्टी इसके खिलाफ सोमवार को सुप्रीम कोर्ट जाने का मन बना रही है। गुजरात में अमित शाह और स्मृति ईरानी के लोकसभा में निर्वाचित होने पर दो राज्यसभा सीटें खाली हुई हैं। गुजरात की दो सीटों में से एक सीट से भाजपा विदेश मंत्री एस जयशंकर को राज्यसभा भेज रही है। 

दरअसल, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को लोकसभा चुनाव जीतने का प्रमाणपत्र 23 मई को ही मिल गया था, वहीं गुजरात से ही राज्यसभा सांसद रहीं स्मृति ईरानी को अमेठी से जीत का प्रमाणपत्र 24 मई को मिला। इससे दोनों के चुनाव में एक दिन का अंतर हो गया। इसी आधार पर आयोग ने राज्य की दोनों सीटों को अलग-अलग माना है। अब भले ही चुनाव एक ही दिन हो लेकिन वोटिंग अलग-अलग होगी। ऐसे में भाजपा सदस्य नए सिरे से वरीयता बनाएंगे और भाजपा को दूसरी सीट भी आसानी से मिल जाएगी। अगर चुनाव एक साथ होता तो कांग्रेस के लिए एक सीट जीतने की संभावना बन रही थी। 

कैसे फंस गई कांग्रेस

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गुजरात की दोनों राज्यसभा सीटों पर अगर एक साथ एक ही बैलट पेपर से चुनाव हुआ तो कांग्रेस एक सीट जीत सकती है। वहीं विधायकों की संख्या के हिसाब से चुनाव अलग-अलग बैलट पर हुआ तो दोनों सीटें भाजपा को मिलेंगी। संख्या बल के हिसाब से गुजरात में राज्य सभा का चुनाव जीतने के लिए उम्मीदवार को 61 वोट चाहिए। एक ही बैलट पर चुनाव होने से उम्मीदवार एक ही वोट डाल पाएगा। इस स्थिति में कांग्रेस एक सीट आसानी से निकाल लेती क्योंकि उसके पास 71 विधायक हैं। लेकिन चुनाव आयोग की अधिसूचना के मुताबिक, विधायक अलग-अलग वोट करेंगे। ऐसे में उन्हें दो बार वोट करने का मौका मिलेगा। विधानसभा में भाजपा विधायकों की संख्या 100 से ज्यादा है, ऐसे में वे दो बार वोट करके दोनों उम्मीदवारों को जितवा सकते हैं।