राजस्थान में विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने दावा किया कि यूपीए के शासन के समय पाकिस्तान पर तीन सर्जिकल स्ट्राइक की गई थी लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सेना के अनुरोध पर इसे गुप्त रखा।

जुलाई 2011 में 'ऑपरेशन जिंजर' के कोड नाम से सीमा पार हुई कार्रवाई में शामिल जवानों ने कांग्रेस अध्यक्ष के इस दावे का खंडन किया है। उनका कहना है कि राहुल गांधी जिस कार्रवाई का दावा कर रहे हैं वह पाकिस्तान की सीमा से सटी एक पोस्ट पर स्थानीय स्तर पर की गई कार्रवाई थी। इसे तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह के आदेश पर किया गया था। इसमें कभी भी रक्षा मंत्रालय अथवा प्रधानमंत्री कार्यालय को शामिल नहीं किया गया। 

पाकिस्तानी जमीन पर की गई कार्रवाई को एलओसी पर ही तैनात जवानों ने अंजाम दिया। लेकिन यह उड़ी सैन्य ठिकाने पर आतंकी हमले के बाद मोदी सरकार के दौरान पीओके में की गई सर्जिकल स्ट्राइक की तरह बड़ी कार्रवाई नहीं थी। न तो उसमें इतने बड़े स्तर पर सैनिकों को तैनात किया गया और न ही पाकिस्तान को इतना भारी नुकसान पहुंचा था। 

इस ऑपरेशन में हिस्सा लेने वाले सेना के सूत्रों ने 'मॉय नेशन' को बताया, 'जब 2011 में पाकिस्तान ने हमारे जवानों पर बैट दस्ते का हमला करवाया तो तत्कालीन सेना प्रमुख की ओर से बदले के स्पष्ट आदेश दिए गए थे। इन हमलों में टॉप सीक्रेट जासूसी दल टेक्नीकल सपोर्ट डिवीजन (टीएसडी) को भी शामिल किया गया था।'

सूत्रों के अनुसार, इस टीम ने वह विस्फोटक तैयार किया था जो भारतीय सैनिकों की कार्रवाई के बाद अपने साथियों का शव उठाने के लिए आने वाले पाकिस्तानी सैनिकों को फंसाने के लिए इस्तेमाल किया गया था। हालांकि सूत्रों ने विभिन्न स्तर पर कमांडरों को आक्रामक कार्रवाई के लिए केंद्र से इजाजत लेने की आवश्यकता नहीं होती है। 

हालांकि 2016 को पीओके में की गई सर्जिकल स्ट्राइक एलओसी में 100 किलोमीटर के विस्तृत दायरे में की गई थी। इसमें पैरा स्पेशल कमांडो की दो यूनिटें शामिल थीं। इस ऑपरेशन में उस यूनिट के जवानों को भी शामिल किया गया था जिसके सैनिक उड़ी आतंकी हमले में मारे गए थे। 

जहां 2011 के ऑपरेशन जिंजर के दौरान आठ पाकिस्तानी सैनिक मारे गए थे, वहीं 28-29 सितंबर की दरमियानी रात को छह घंटे तक चली सर्जिकल स्ट्राइक में 35 से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिक और आतंकी मारे गए थे। 

सेना के सूत्रों ने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक से पहले के समय में अपने जवानों की हत्या के बाद पाकिस्तानियों के खिलाफ बदला कार्रवाई की जाती थी लेकिन इनमें से कोई भी इतने बड़े स्तर पर कभी नहीं की गई।