उत्तर प्रदेश की राजनीति का एक बड़ा अध्याय तब शुरू हुआ था जब समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने आपसी रंजिश भुलाकर लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन बनाया था। वहीं आज अब एक दूसरा अध्याय इसी श्रृंखला में जुड़ने जा रहा है, जहां बीएसपी सुप्रीमो मायावती मुलायम सिंह के गढ़ कहे जाने वाले मैनपुरी में उनके लिए वोट मांगेगी। वह भी उस गेस्ट हाउस कांड को भुलाने के बाद, जिसे मायावती पिछले चौबीस साल में भुला नहीं पायी। लेकिन आज सबकी नजर माया के साथ ही मुलायम सिंह पर भी है, क्योंकि मुलायम पर इस चुनावी रैली के मंच से माया से प्रत्यक्ष और परोक्ष तौर पर माफी मांगने का दबाव है। अगर आज मुलायम सिंह माफी मांगते हैं तो दोनों दलों के समर्थकों के बीच नाराजगी को कम करने में मदद मिलेगी। जिसका फायदा दोनों दलों को लोकसभा चुनाव में जरूर मिल सकता है।

राज्य में बीजेपी का मात देने के लिए तीन अहम दलों ने इस साल की शुरूआत में चुनावी गठबंधन किया था। इस गठबंधन में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पकड़ रखने वाली राष्ट्रीय लोकदल हैं। लोकसभा चुनाव के लिए बने गठबंधन में तीनों दलों के नेताओं को राज्य में 11 जगहों पर संयुक्त रैली करनी है। जबकि ये अलग अलग जगहों पर अपने प्रत्याशी के लिए रैलियां भी करेंगी। जिसमें उनके सहयोगी दलों के नेता भी रहेंगे और समर्थक भी। लेकिन आज सबकी नजर मायावती और मुलायम सिंह पर लगी हैं।

जहां मायावती मैनपुरी में मुलायम सिंह के लिए वोट मांगेगी। वहीं मुलायम भी मायावती की तारीफ करेंगे। सूत्रों के मुताबिक एसपी के रणनीतिकारों ने मुलायम को समझाया है कि अगर वह गेस्ट हाउस कांड के लिए मायावती से माफी मांगते हैं और या फिर उनकी तारीफ करते हैं तो इसके दूरगामी परिणाम होंगे और लोकसभा चुनाव में इसके परिणाम देखने को मिलेंगे। हालांकि सबकुछ मुलायम सिंह पर निर्भर करेगा। लेकिन एसपी के रणनीतिकार मुलायम सिंह को इसके लिए राजी कर रहे हैं। बहरहाल कुछ दिन पहले मैनपुरी में मायावती की रैली पर मुलायम सिंह ने नाराजगी जताई थी।

क्योंकि मुलायम को डर था कि रैली में मायावती के आने से मुलायम के समर्थक नाराज होंगे। मैनपुरी को मुलायम सिंह का गढ़ माना जाता है। यहां की जनता भी मुलायम के पक्ष में खुलकर मतदान करती है और इसका असर आसपास की सीटों पर भी जरूर पड़ता है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बाद भी मुलायम मैनपुरी सीट को जीतने में कामयाब रहे और आजमगढ़ की सीट को भी।

यही नहीं मैनपुरी सीट मुलायम के छोड़ने के बाद हुए उपचुनाव में मुलायम सिंह के आर्शीवाद से उनके भतीजे तेज प्रताप यादव ने इस सीट पर जीत हासिल की। लेकिन दिलचस्प ये है कि यूपी की राजनीति में ढाई दशक पहले बीएसपी संस्थापक कांशीराम के साथ मुलायम सिंह दिखे थे और उसके बाद आज अब वह मायावती से साथ दिखेंगे। दोनों में एक बात कॉमन है कि दोनों दलों की कमान नए दौर के नेताओं की हाथ में है।

सन् 1993 में लखनऊ के बेगम हजरत महल पार्क में कांशीराम और मायावती के साथ मुलायम सिंह यादव मंच पर साथ थे। इसके बाद दोनों दलों ने राज्य में सरकार बनाई, लेकिन ये सरकार महज 18 महीने ही चल पायी थी और 1995 में गेस्ट हाउस कांड हो गया। जहां एसपी कार्यकर्ताओं ने मायावती के साथ दुर्व्यवहार किया था। इसके लिए तब मायावती ने सीधे तौर पर मुलायम सिंह को जिम्मेदार ठहराया था। लेकिन आज स्थिति बदल चुकी है, एसपी में सभी बड़े फैसले अखिलेश यादव करते हैं तो बीएसपी में मायावती।

लिहाजा आज अखिलेश के दबाव और दूरगामी परिणाम को देखते हुए मुलायम गेस्ट हाउस कांड की किसी न किसी तरह भर्त्सना कर सकते हैं। ताकि इसका बीएसपी कार्यकर्ताओं के लिए अच्छा संदेश जाए और चुनाव में दोनों दलों के कार्यकर्ता मिलकर चुनाव लड़े। हालांकि अभी तक एसपी और बीएसपी कार्यकर्ताओं के बीच किसी भी तरह का समन्वय नहीं दिखा है। जिसको लेकर दोनों दलों के नेता चिंतित हैं।