उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने आज आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए बड़ा फैसला किया है. योगी सरकार ने अब साधु संतों को पेंशन देने का फैसला किया है. राज्य सरकार ये पेंशन वर्तमान पेंशन योजनाओं के तहत ही साधु संतों को देगी. इसके लिए योगी सरकार राज्य के हर जिले में कैंप लगाकर साधु संतों का पंजीकरण कराएगी. हालांकि विपक्षी दल इसे राज्य सरकार का चुनावी स्टंट कह रहे हैं. 

योगी सरकार ने प्रयागराज के जरिए आगामी लोकसभा चुनाव को जीतने की तैयारी कर ली है. ऐसा माना जा रहा कि कुंभ में करीब 15 करोड़ से ज्यादा हिंदू स्नान करेंगे. हालांकि इससे पहले हिंदू वोटों को साधने के लिए योगी सरकार ने प्रयागराज में अकबर किले में कई सालों से दर्शन के लिए प्रतिबंधित सरस्वती कुंड को भी दर्शन के लिए खोला था. लेकिन अब योगी सरकार ने साधु संतों के लिए पेंशन शुरू करने का फैसला किया है. हालांकि भाजपा और उनके सहयोगी संगठनों ने राज्य सरकार के इस फैसला का स्वागत किया है. जबकि सपा और अन्य राजनैतिक दलों ने इसे चुनावी स्टंट बताया है.

अभी तक प्रदेश में चल रही पेंशन योजना में साधु और संतों को शामिल नहीं किया जाता था. लेकिन यूपी के साधु-संतों को भी पेंशन देगी. योगी सरकार साधु संतों को वृद्धावस्था पेंशन योजना के तहत पेंशन देगी और इसके जरिए हिंदू वोटों को साधेगी. प्रदेश के 10 लाख साधु-संत जिनकी आयु 60 वर्ष के ऊपर है उन्हें वृद्धावस्था पेंशन योजना में शामिल करने जा रही है. दरअसल सरकार को लगता है कि यह योजना उसके लिए आगामी लोकसभा चुनावों में गेम चेंजर साबित हो सकती है. क्योंकि योगी सरकार को कुंभ में इस योजना को प्रसारित करने का मौका मिलेगी और यहां आने वाले साधु संत अन्य प्रदेशों में भी इसे प्रसारित करेंगे.

जिसका फायदा भाजपा को यूपी में ही नहीं बल्कि अन्य प्रदेश में भी मिलेगा. साधु और संतों को अभी तक मिलने वाली पेंशन योजना में शामिल नहीं किया जाता था क्योंकि सरकार का मानना था कि साधु संत वैरागी का जीवन यापन करते हैं और दूसरा उनके पास कोई मूलभूत कागजात और दस्तावेज नहीं होते थे. लिहाजा अब योगी सरकार ने हर जिले में शिविर लगा वृद्धावस्था पेंशन में छूटे हुए लोगों को शामिल करने का फैसला किया है. इसमें विशेष तौर पर ध्यान दिया जाएगा कि साधु-संतों को भी शामिल किया जाए.