Supreme Court WhatsApp Number : सुप्रीम कोर्ट ने डिजिटलीकरण की ओर एक और कदम बढ़ाया है। अब वकीलों और पक्षकारों को सुप्रीम कोर्ट में लंबित अपने मुकदमों का अपडेट वॉट्सऐप पर भी मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश(Chief Justice of India) डीवाई चंद्रचूड़ ने घोषणा की कि सुप्रीम कोर्ट अब व्हाट्सएप मैसेज के जरिए जानकारी साझा करेगा। इसके माध्यम से एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड तथा कोर्ट में निजी तौर पेश होने वाले वादियों को मुकदमा ऑनलाइन दाखिल करने, वाद सूची, आदेशों तथा निर्णयों के संबंध में जानकारी प्राप्त करने में सुविधा होगी। 

Supreme Court का क्या है WhatsApp Number? 
सुप्रीम कोर्ट 75वें वर्ष में वॉट्सऐप मैसेजिंग सेवा की शुरूआत आईटी सर्विस के साथ न्याय तक पहुंच को मजबूत करने की नई पहल है। इस दौरान चीफ जस्टिस ने बताया कि इस पर कॉल या मैसेज प्राप्त नहीं होंगे। नि:संदेह यह सबसे बड़ी अदालत को पेपरलेस बनाने की तरफ उठा बड़ा कदम है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इसे क्रांतिकारी कदम बताते हुए इसकी सराहना की। CJI ने व्हाट्सऐप नंबर 87687676 जारी किया।

Supreme Court WhatsApp Number से क्या होगा फायदा?
तकनीक संबंधी सुविधाओं को जितनी जल्दी हो सके रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल कर लेना बेहतर होता है। सीजेआई कोर्ट की कार्रवाई को हाईटेक करने में जुटे हुए हैं। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड अपने 6 वर्ष के कार्यकाल में 513 फैसले दे चुके हैं। उनके नाम सुप्रीम कोर्ट के जजों में सबसे ज्यादा फैसले लिखाने का  रिकार्ड भी दर्ज है। सीजेआई जस्टिस सिस्टम को स्मूथ और ट्रांसपैरेंट बनाने के लिए निरंतर बड़े कदम उठा रहे हैं।

Supreme Court WhatsApp Number का क्या है मकसद?
देश में 48 करोड़ से अधिक व्हाट्सऐप यूजर हैं, जो 2025 तक 80 करोड़ तक पहुंचने का अंदाजा है। हालांकि व्हाट्सऐप मेटा टेक्नॉलाजी कंपनी की सुविधा है, जिसके सीईओ मार्क जकरबर्ग हैं। किसी भारतीय संचार संस्थान (communication institute) को इस जरूरत को समझते हुए आगे कदम बढ़ाने की सख्त जरूरत है।

Supreme Court WhatsApp Number से क्या होगा फायदा?
सीजेआई ने कहा कि इससे और अधिक वकीलों की सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच बढ़ेगी। साथ ही दूर दराज रहने वाले लोगों को भी कोर्ट कार्यवाही की सूचना मिल सकेगी। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री के विचारों को साझा करते हुए कहा कि सरकार डिजिटली करण को बढ़ावा दे रही है, ताकि लोगों की न्याय तक पहुंच सुलभ हो। बता दें कि केंद्र सरकार ने ईकोर्ट परियोजना के लिए 7000 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है। 

 

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