नई दिल्ली- खराब अंपायरिंग एक बार फिर से चर्चा का विषय बनी हुई है, क्योंकि दिल्ली की टीम के तेज बल्लेबाज गौतम गंभीर को हिमाचल प्रदेश के खिलाफ रणजी ट्रॉफी 2018-19 मैच के दौरान खराब अंपायरिंग का सामना करना पड़ा। मैच के दौरान विकेट न गिरने पर भी गौतम गंभीर को आउट कर दिया गया। इस बात पर गौतम गंभीर ने नाराजगी भी जाहिर की।  

अंपायर का होता है अहम रोल

क्रिकेट चाहे घरेलू हो या अंतराष्ट्रीय सभी मैचों में अंपायरिंग का रोल बेहद ही अहम होता है। अंपायर हमेशा ही ध्यान केंद्रित करते हैं। अब निर्णय समीक्षा प्रणाली (डीआरएस) की उपलब्धता के साथ, खिलाड़ियों द्वारा मैदान पर अंपायरों को चुनौती मिलती है। हालांकि यह मामला दिल्ली-हिमाचल प्रदेश के शुरुआती मैचों का नहीं है। 

गंभीर ने बनाए 44 रन

रणजी ट्रॉफी में कोई डीआरएस नहीं है। मैच में गंभीर को अंपायर द्वारा गलती से आउट दिया गया था और बाएं हाथ के सलामी बल्लेबाज इस फैसले से परेशान थे। 37 वर्षीय गंभीर ने लेग साइड पर गेंद को खेलने की कोशिश की। गौतम गंभीर ने मैच में 44 रन बनाए थे। इस मौके पर स्पिन गेंदबाज मयंक डागर की एक गेंद गौतम को छकाते हुए शॉर्ट लेग पर खड़े फील्डर प्रियंशु खंडूरी की ओर चली गई और अंपायर ने उन्हें आउट कर दिया।  

थाई पैड से टकराई थी गेंद

खांडुरी जो आगे शॉर्ट-लेग पर खडे थे, उन्होंने गेंद को कैच कर के गंभीर को आउट कर दिया। गंभीर ने अपने आउट होने पर आपत्ति जताई और उन्होंने बताया कि गेंद उनके बल्ले या दस्ताने से नहीं टकराई है, बल्कि वह थाई पैड से टकराकर फिल्डर के पास गई थी। फील्ड से वापस जाते हुए उन्हें अंपायर के फैसले की निंदा भी की। 

टीम ने बनाए 305 रन

दिल्ली ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया था। गंभीर ने हिटान दलन के साथ बल्लेबाजी की शुरुआत की थी। दिल्ली ने 89 ओवरों में 8 विकेट पर 305 रन बनाए थे। 

भ्रष्टाचार पर उठाए थे सवाल

हाल ही में गंभीर ने बंगाल क्रिकेट संघ (सीएबी) और बीसीसीआई पर सवाल उठाये थे। उन्होंने ईडन गार्डन में मोहम्मद अज़हरुद्दीन को भारत-वेस्टइंडीज के पहले टी20  मैच के दौरान में घंटी बजाने और भ्रष्टाचार के खिलाफ बीसीसीआई की शून्य सहनशीलता नीति पर सवाल उठाया था।